रतनपुर के एक और तालाब में जाल में फंसे मिले चार मृत कछुए, क्या रतनपुर में संरक्षित प्रजाति के कछुए बन रहे राजनीति के मोहरे ?

वजह जो भी है लेकिन लगता है रतनपुर में इन दिनों कछुओ की सामत आई हुई है। वन्य जीव अधिनियम में भी इन कछुओं को संरक्षित किया गया है, तो वहीं सनातनी परंपराओं में कछुओ को भगवान विष्णु का कुर्म अवतार माना जाता है।

लेकिन पिछले कुछ दिनों से यह कछुए रतनपुर में राजनीति के मोहरे बनते नजर आ रहे हैं। 25 मार्च को रतनपुर महामाया कुंड में जाल में फंसे 23 मृत कछुए मिले। आरोप लगाया गया कि महामाया मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सतीश शर्मा द्वारा गैर कानूनी ढंग से कुंड की सफाई के नाम पर मछलियों का अवैध शिकार कराया गया। इसी वजह से जाल में फंस कर कछुओ की मौत हुई। आरोप तो यह भी लगाए गए की मछली के साथ बड़ी संख्या में कछुओ का भी शिकार कर उन्हें बाजार में बेच दिया गया।

वन विभाग ने इस मामले में आरोप तय किया है। इधर आरोप लगने के बाद महामाया मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सतीश शर्मा ने कहा कि उनके और मंदिर ट्रस्ट के विरुद्ध गहरी साजिश की जा रही है। कहीं और से मृत कछुओ को लाकर महामाया कुंड में डाल दिया गया ताकि उन्हें झूठे मामलों में फसाया जा सके। उन्होंने पूरे मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए जांच में सहयोग करने की बात कही थी, लेकिन आरोप है कि बिलासपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के बाद वे अपना मोबाइल बंद कर भूमिगत हो गए हैं। इधर निचली अदालत में उनकी अग्रिम जमानत याचिका भी खारिज हो गई। इस पूरे मामले को संज्ञान में लेते हुए हाईकोर्ट ने 9 अप्रैल को प्रशासन से जवाब मांगा है।

इधर इसी बीच मंगलवार को रतनपुर के एक और तालाब में उसी तरह लाल में फंसे 4 और मृत कछुये मिले। रतनपुर महामाया मंदिर के पास स्थित कलपेसरा तालाब में जाल में फंसे मृत कछुओ के मिलने के बाद एक बार फिर से आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है ।
यह तालाब नगर पालिका के अधीन है। यहां नगर पालिका द्वारा नौकायन भी किया जाता है। एक वर्ग का कहना है कि जब महामाया मंदिर परिसर में स्थित महामाया कुंड में 23 मृत कछुये मिले थे तो फिर मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियो को आरोपी बनाया गया लेकिन जब नगर पालिका के अधीन कलपेसरा तालाब में भी उसी तरह 4 मृत कछुये मिले है तो क्या फिर इस बार नगर पालिका के अधिकारियों को आरोपी बनाया जाएगा ?

एक बार तो कह रहा है कि रतनपुर के तालाबों में खुलकर अवैध शिकार किया जा रहा है तो वही दूसरा पक्ष कह रहा है कि कछुओ की मौत के बहाने यहां जमकर राजनीति की जा रही है। मंदिर ट्रस्ट से जुड़े लोगों ने पहले ही आरोप लगाया था कि महामाया कुंड में मिले मृत कछुये उन्हें फसाने की चाल है। जिनका दावा है कि महामाया कुंड में मिले कछुओ को कहीं और से लाकर कुंड में डाला गया है। एक बार फिर किसी और तालाब में इस तरह के कछुये मिलने से नए सवाल पैदा हो रहे हैं। एक वर्ग का कहना है कि किसी और तालाब में मिले कछुये इशारा करते हैं कि रतनपुर में कछुओ का अवैध शिकार हो रहा है ।शायद किसी और तालाब के मृत कछुओं को महामाया कुंड के पास फेंक दिया गया हो तो ही यह भी संभव है कि इस पूरे मामले को भटकाने के लिए इस तरह की घटनाओं को दोहराया जा रहा हो। कुल मिलाकर यह पूरा मामला संदेह के दायरे में है और इसमें गहरी जांच की जरूरत है। यह अगर मंदिर ट्रस्ट की राजनीति से जुड़ी साजिश है तो वन विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि निरीह कछुओं को इस तरह से राजनीति का मोहरा ना बनाया जाए। कुल मिलाकर इन दिनों रतनपुर में संरक्षित प्रजाति के कछुये पूरी तरह से असुरक्षित है। जाल में फंसकर हो रही उनकी मौत से स्पष्ट है कि यहां उनका अवैध शिकार बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इसके पीछे की असली वजहो तक पुलिस और वन विभाग को जल्द ही पहुंचना होगा ताकि इन कछुओ की जान बचाई जा सके

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