रजत जयंती महोत्सव: श्रीमद् देवी भागवत महापुराण महत्व और माता-पिता के आचरण का बच्चों पर प्रभाव

श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मन्दिर सुभाष चौक सरकण्डा बिलासपुर छत्तीसगढ़ में चैत्र नवरात्र के पावन पर्व पर बिलासपुर शहर एवं विश्व कल्याण के लिए श्रीमद् देवी भागवत महापुराण कथा का आयोजन किया गया है।पीठाधीश्वर आचार्य डाॅ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि इसी कड़ी में नवरात्रि के प्रत्येक दिन माँ श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का पूजन श्रृंगार भिन्न-भिन्न देवियों के रूप में किया जा रहा है, एवं प्रातः कालीन श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का रुद्राभिषेक, श्री महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती देवी का श्रीसूक्त षोडश मंत्र द्वारा दूधधारियापूर्वक अभिषेक, परमब्रह्म मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का श्रृंगार,पूजन, सिद्धिविनायक जी का पूजन श्रृंगार किया गया।

पीतांबरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि एक समय की बात है, जब भगवान में अनुराग और पुण्यात्मा महर्षियों ने श्री वेदव्यास के परम शिष्य सूतजी से प्रार्थना की। उन्होंने कहा,हे ज्ञानसागर! आपके श्रीमुख से विष्णु भगवान और शंकर के देवी चरित्र तथा अद्भुत लीलाएं सुनकर हम बहुत सुखी हुए। ईश्वर में आस्था बढ़ी और ज्ञान प्राप्त किया।महर्षियों ने आगे कहा,अब कृपा कर मानव जाति को समस्त सुखों को उपलब्ध कराने वाले, आत्मिक शक्ति देने वाले तथा भोग और मोक्ष प्रदान कराने वाले पवित्रतम पुराण आख्यान सुनाकर अनुगृहीत कीजिए।ज्ञानेच्छु और विनम्र महात्माओं की निष्कपट अभिलाषा जानकर महामुनि सूतजी ने अनुग्रह स्वीकार किया। उन्होंने कहा,जन कल्याण की लालसा से आपने बड़ी सुंदर इच्छा प्रकट की। मैं आप लोगों को उसे सुनाता हूँ।सूतजी ने आगे कहा,यह सच है कि श्रीमद् देवी भागवत् पुराण सभी शास्त्रों तथा धार्मिक ग्रंथों में महान है। इसके सामने बड़े-बड़े तीर्थ और व्रत नगण्य हैं।उन्होंने कहा, “इस पुराण के सुनने से पाप सूखे वन की भांति जलकर नष्ट हो जाते हैं, जिससे मनुष्य को शोक, क्लेश, दु:ख आदि नहीं भोगने पड़ते।”सूतजी ने आगे कहा, “जिस प्रकार सूर्य के प्रकाश के सामने अंधकार छंट जाता है, उसी प्रकार भागवत् पुराण के श्रवण से मनुष्य के सभी कष्ट, व्याधियां और संकोच समाप्त हो जाते हैं।

श्री पीताम्बरा पीठ के प्रवचन पंडाल से कथा व्यास आचार्य श्री मुरारी लाल त्रिपाठी जी ने देवी भागवत कथा के अवसर पर कहा कि देवी भागवत पुराण में माता-पिता के आचरण के प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया गया है। माता-पिता के आचरण का बच्चों पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है, जो उनके जीवन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। माता-पिता के अच्छे आचरण से बच्चे अच्छे संस्कारों को सीखते हैं और उनके बुरे आचरण से बच्चे बुरे संस्कारों को सीखते हैं।
संस्कार बच्चों के जीवन को आकार देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। माता-पिता के अच्छे संस्कार बच्चों को अच्छे मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। इसलिए, माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को अच्छे संस्कारों को सिखाएं और उन्हें अच्छे मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें।बच्चे अपने माता-पिता का अनुसरण करते हैं, इसलिए माता-पिता को अपने बच्चों के सामने अच्छे आचरण को प्रदर्शित करना चाहिए। देवी की कृपा से माता-पिता अपने बच्चों को अच्छे संस्कारों को सिखा सकते हैं और उन्हें अच्छे मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। इस प्रकार, माता-पिता के आचरण का बच्चों पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है और यह उनके जीवन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य के राजकीय अतिथि महामण्डलेश्वर श्री 1008 श्री स्वामी मनमोहनदास जी महाराज
राधे राधे बाबा इंदौर
संयुक्त मंत्री – अखिल भारतीय संत समिति, आज पीतांबरा पीठ पहुंच कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।

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