निष्कासन की अनुशंसा के जवाब में विधायक अटल श्रीवास्तव ने किया पलटवार, कहा- 23 तक बैठूंगा खामोश, फिर होगा दूध का दूध, पानी का पानी

पहले विधानसभा, फिर लोकसभा और उसके बाद नगरीय निकाय चुनाव में भी कांग्रेस चारों खान चित्त हो गई। उसके बाद भी संगठित होने की बजाय कांग्रेसी आपस में ही लड़- भीड़कर शायद पूरी तरह से खत्म हो जाना चाहते हैं। कांग्रेसी पहले से ही दो खेमों में बंटे हुए थे। इन्हीं दो खेमों की लड़ाई खत्म होने का नाम नहीं ले रही।

एक गुट के मुखिया भूपेश बघेल को राष्ट्रीय स्तर की जिम्मेदारी मिलने के बाद कयास लगाया जा रहा है कि दूसरे गुट के मुखिया को प्रदेश की जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके बाद यह लड़ाई सतह पर आने लगी है। दोनों ही गुट के नेता एक दूसरे पर आरोप- प्रत्यारोप लग रहे हैं। बिलासपुर ग्रामीण और शहर जिला अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि उन्होंने निगम चुनाव में भीतर घात करने वालों को बाहर किया तो उनके समर्थक कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव ने उन्हें चपरासी बता दिया। इस कारण नाराज होकर दोनों जिला अध्यक्ष ने प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को चिट्ठी लिखकर अटल श्रीवास्तव के खिलाफ ही अनुशासनात्मक कार्रवाई करने और उन्हें पार्टी से निष्कासित करने की अनुशंसा कर डाली।

इसके बाद तो यह ढंकी- छुपी लड़ाई पूरी तरह से बेपर्दा हो गई है। विजय केसरवानी का कहना है कि चुनाव के दौरान अटल के समर्थकों ने खुलकर पार्टी विरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया था और उन पर कार्रवाई से तिलमिलाए अटल श्रीवास्तव अपने शब्दों की गरिमा खो रहे हैं।

इधर अब तक के घटनाक्रम के बाद बुधवार को कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव ने अपने निवास पर पत्रकार वार्ता आयोजित कर अपना पक्ष रखा, जिससे विवाद थमने की बजाय और गहराता नजर आ रहा है ।

अटल श्रीवास्तव ने कहा कि दुर्भाग्य जनक है कि उन्हें इस तरह की खबरें मीडिया के माध्यम से मिल रही है। उन्होंने सरासर आरोप लगाते हुए कहा कि बिलासपुर में दोनों ही जिला अध्यक्ष पूरी तरह से निरंकुश हो चुके हैं और वे मनमाना फैसला दे रहे हैं । उन्होंने इस बात पर भी हैरानी जताई कि बिलासपुर में पार्षद प्रत्याशियों की अधिकृत सूची जारी होने से पहले ही इन लोगों ने अपनी सूची जारी कर दी। इतना ही नहीं इसमें तीन बार बदलाव किया गया। 12 से 15 प्रत्याशियों के नाम बदल गए। यहां तक की बी फार्म तक बदल दिए गए। नतीजा यह रहा कि कांग्रेस के 10 पार्षदों की जमानत जप्त हो गई ।

हार की जिम्मेदारी से बचने के लिए ही जिला अध्यक्ष इस तरह के पैंतरे इस्तेमाल कर रहे हैं। इसे उन्होंने ध्यान भटकाने का प्रयास बताया। विधायक अटल श्रीवास्तव ने दावा किया कि उन्होंने किसी भी मीडिया में कलेक्टर और चपरासी वाला बयान नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि उनके सामने किसी ने यह जुमला कहा जरूर था , जिसे किसी मीडिया ने प्रकाशित किया और यह पूरा मामला निर्मित हो गया। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि आरोप लगाने वाले कोई बाइट या बयान दिखाएं तो वे पार्टी छोड़ देंगे। अटल श्रीवास्तव ने कहा कि बिलासपुर में पूर्व उपमुख्यमंत्री टी एस सिंह देव की मौजूदगी में कांग्रेसियों के बीच सामान्य बातचीत चल रही थी। इस दौरान उन्होंने कहा कि आप लोग कांग्रेस के पीठ पर छुरा भोंक रहे हैं, जिसे दोनों ने व्यक्तिगत रूप से लेते हुए पूरा बखेड़ा खड़ा कर दिया।

अटल श्रीवास्तव यह भी कहते हैं कि अगर मैंने यह कहा है कि कलेक्टर को चपरासी निकाल रहे हैं तो यह सोचना होगा कि आखिर ऐसा क्यों कहा गया। अटल श्रीवास्तव के निष्कासन की अनुशंसा करने वाले शहर और ग्रामीण अध्यक्ष विजय पांडे एवं विजय केसरवानी पर आरोप लगाते हुए अटल श्रीवास्तव ने कहा कि दोनों ही पूरी तरह से बेलगाम हो चुके हैं। अराजक होकर वे व्यक्तिगत शत्रुता भूना रहे हैं ।हार का ठीकरा फूटने के डर से समीक्षा से बचने वाले यह लोग किसके इशारे पर संगठन को कमजोर कर रहे हैं और कौन इन्हें पीछे से ताकत दे रहा है ? इसकी जांच करने की भी जरूरत पर अटल श्रीवास्तव ने जोर दिया।
उन्होंने नगरीय निकाय चुनाव में जिला अध्यक्षों पर टिकट बदले जाने और पार्टी को कमजोर करने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी चुनौती दी है कि दोनों ही जिला अध्यक्षों में अगर जरा भी नैतिकता शेष है तो वे कांग्रेस की सामान्य बैठक बुला ले, जिससे उन्हें आम कांग्रेसियों के आक्रोश का पता चल जाएगा।

अटल श्रीवास्तव ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने इस संबंध में उच्च पदाधिकारियों से चर्चा की है और उन्होंने 23 तक उन्हें खामोश रहने के लिए कहा है। अटल श्रीवास्तव कहते हैं कि 23 फरवरी के बाद इस पूरे मामले की समीक्षा होगी और दूध का दूध, पानी का पानी होगा। उन्होंने जिला अध्यक्षों पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए कहा कि वे तो प्रदेश नेतृत्व को ही चुनौती दे रहे हैं। वे स्वयं राष्ट्रीय पदाधिकारी है। उनके अलावा प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व महिला प्रदेश अध्यक्ष को भी इन लोगों ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर निष्कासित किया है। इस मुद्दे पर अटल श्रीवास्तव ने पब्लिक मीटिंग बुलाने की वकालत की है।

जो मामला अब तक पर्दे के पीछे था, अब वह खुलकर सामने आ चुका है। विजय केसरवानी और विजय पांडे हो या फिर अटल श्रीवास्तव दोनों ही एक दूसरे के खिलाफ खुलकर बयान दे रहे हैं। दोनों ही पाले में अपने-अपने समर्थक है ।बुधवार को अटल श्रीवास्तव के साथ कांग्रेस महापौर प्रत्याशी प्रमोद नायक, निष्कासित प्रदेश प्रवक्ता अभय नारायण राय और कई कांग्रेसी नजर आए, जिससे समझ में आया कि कमजोर हो चुकी कांग्रेस संगठित होने की बजाय पूरी तरह से दो खेमों में बंट चुकी है।

आजादी के बाद गांधी जी ने भी कांग्रेस को खत्म करने की सिफारिश की थी । लगता है बिलासपुर के कांग्रेसी महात्मा गांधी के उसी विचार पर अमल कर रहे हैं।

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