श्री गुरु गोविंद सिंह जी के पावन प्रकाश पर्व पर महाराजा रणजीत सिंह हॉल में सजा विशेष दीवान

दशम गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी के पावन प्रकाश पर्व के उपलक्ष में गुरु नानक स्कूल ग्राउंड महाराजा रणजीत सिंह सभागार में विशेष दीवान सजाकर आमंत्रित रागी द्वारा शबद कीर्तन किया जा रहा है। रविवार को बड़ी संख्या में संगत यहां मत्था टेकने पहुंची ।

सिखों के दसवें और अंतिम गुरु श्री गोविंद सिंह जी का पावन प्रकाश पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की नींव रखने वाले महान गुरु की याद में गुरु नानक स्कूल स्थित महाराजा रणजीत सिंह हॉल में विशेष दीवान सजाया गया है। गुरु गोविंद सिंह जी ने ही पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया था और उन्हें गुरु के रूप में प्रतिष्ठित किया था । उनके पश्चात गुरु ग्रंथ साहिब को ही सिखों का गुरु माना जाता है। गुरु गोविंद सिंह जी ने धर्म की रक्षा के लिए मुगलों के साथ 14 युद्ध लड़े थे और धर्म की रक्षा के लिए अपने पूरे परिवार के साथ उन्होंने अपना महान बलिदान दिया था। सरवन्स दानी गुरु गोविंद सिंह जी को संत सिपाही भी कहा जाता है, जिन्होंने सदा प्रेम , सदाचार और भाईचारे का संदेश दिया। गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 22 दिसंबर 1666 को पटना में श्री गुरु तेग बहादुर जी और माता गुजरी के घर हुआ था। उनके बचपन का नाम गोविंद राय था। इन दिनों उनका जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। गुरु गोविंद सिंह जी के पावन प्रकाश पर्व के अवसर पर रविवार सुबह गुरुद्वारा दयालबंद के हजूरी रागी भाई जसविंदर सिंह, फतेहगढ़ साहिब के भाई हरदीप सिंह और दिल्ली वाले भाई गुरमनप्रीत सिंह द्वारा गुरु के कीर्तन की प्रस्तुति दी गई ।

प्रकाश पर्व के अवसर पर महाराजा रणजीत सिंह हॉल में सुबह शाम धार्मिक आयोजन हो रहे हैं, जिनमें स्थानीय और आमंत्रित रागी के साथ बच्चे भी अपनी प्रस्तुति दे रहे हैं।

रविवार के आयोजन के पश्चात यहां गुरु का अटूट लंगर वरताया गया । सोमवार को भी पवन प्रकाश पर्व के अवसर पर विशेष दीवान सजाकर स्थानीय और आमंत्रित हजूरी रागी शबद कीर्तन की प्रस्तुति देंगे, तो वही गुरुद्वारा दयालबंद के हेड ग्रंथी भाई मानसिंह बडला द्वारा कथा कही जाएगी। बच्चों का भी कार्यक्रम इस अवसर पर होगा , साथ ही गुरु का विशाल लंगर आयोजित होगा। रविवार के आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाराजा रणजीत सिंह हाल पहुंचे और दीवान के समक्ष मत्था टेक कर आशीर्वाद प्राप्त किया ।

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