साहित्य के उपासक परिवार द्वारा किया गया काव्यनिशा का वर्चुअल आयोजन

साहित्य क़े उपासक परिवार में दिनांक ८.१२.२०२४ को काव्यनिशा का आभासीय आयोजन गूगलमीट द्वारा किया गया. गोष्ठी का आरम्भ कानपुर (उत्तरप्रदेश)क़ी सुश्री काव्या निराला द्वारा सरस्वती वंदना क़ी मधुर प्रस्तुति से हुआ. ततपश्चात नागपुर (महाराष्ट्र) क़ी मेघा अग्रवाल ने अपनी रचना ”बेटी को पढ़ना लिखना सिखलाया” द्वारा कन्या क़े लिए शिक्षा क़े महत्व पर बल दिया. इंदौर (मध्यप्रदेश) क़ी सुश्री दिव्या भट्ट ने मनोरम छंद गीत “वेग सा बहता बदन में… शत्रुओं से जो न हारे” प्रस्तुत कर मातृभूमि क़ी सेवा में सतत समर्पित सैनिकों को नमन किया.
जबलपुर क़ी अर्चना गुदालू जी ने अपनी मनोरम कृति “पूनम का चाँद नभ भरे प्रकाश” द्वारा कार्यक्रम को शोभित किया. दिल्ली क़ी श्रीमती सुनीता राजीव जी ने अपनी हास्य कविता ‘महारोग’ प्रस्तुत कर व्यंगात्मक शैली में मानवजीवन पर बढ़ते आभासीय संसार (सोशल मीडिया) क़े दुष्प्रभाव पर चिंता व्यक्त क़ी. सिवनी (मध्यप्रदेश) क़ी काव्या नेमा ‘काव्या’
ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर माँ शारदा को वंदन किया. लखनऊ क़ी भावना मिश्रा ने अपनी अनुपम कृति ‘गूँज रही विजय पताका’ क़े माध्यम से देश क़े शौर्य क़ा यशगान किया. उज्जैन क़े प्रशांत माहेश्वरी ने अपनी रचना ‘सिन्दूर का मान’ द्वारा एक आदर्श दाम्पत्य क़े लिए आवश्यक सिद्धांतों का मनोहारी चित्रण किया. सुश्री काव्या निराला ने “अपना कहने वाले हज़ार मिलेंगे’ मुक्तक प्रस्तुत कर सभी को प्रभावित किया. अभिलाषा लाल (वाराणसी), शीला बड़ोदिया (इन्दौर), गीता पांडेय ‘अपराजिता’ (रायबरेली), मिहु अग्रवाल (नागपुर), वीणा चौबे (हरदा) क़ी भी रचनाएं प्रभावी रहीं. संचालन प्रशांत माहेश्वरी ने किया. अंत में अर्चना द्विवेदी ‘गुदालू’ द्वारा आभार ज्ञापन क़े साथ आयोजन सहर्ष सम्पन्न हुआ.

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