आकाश मिश्रा
जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो फिर कोई क्या करें? छत्तीसगढ़ में पुलिस के बड़े अफसरो पर ही गांजा तस्करी करने का सनसनीखेज आरोप लगा है। इस मामले में बिलासपुर साइबर पुलिस ने जीआरपी के चार आरक्षकों को पकड़ा है। उड़ीसा से गांजा तस्करी के लिए गुजरने वाली अधिकांश ट्रेने बिलासपुर स्टेशन से गुजरती है इसलिए आए दिन यहां गांजा तस्कर पकड़े जाते हैं। ट्रेनों में गांजा तस्करी रोकने के लिए क्राइम ब्रांच की तर्ज पर राज्य रेलवे सुरक्षा बल जीआरपी में एंटी क्राइम टीम गठित की गई है। जिसमें बिलासपुर जीआरपी के चार आरक्षक संतोष राठौड़, लक्ष्मण गुइन, सौरभ नागवंशी और मन्नू प्रजापति के साथ ही इंद्रजीत बघेल और राजा दुबे को शामिल किया गया है। बाद में राजा दुबे और प्रधान आरक्षक इंद्रजीत बघेल का ट्रांसफर कर दिया गया।
इसी बीच आईजी को शिकायत मिली कि कुछ अफसरों के संरक्षण में जीआरपी के एंटी क्राइम टीम के आरक्षक गांजा की अफरा तफरी करते हैं। मामले की जांच हुई, इसके बाद पता चला कि 24 अक्टूबर को ही जीआरपी ने गांजा का बड़ा खेप पकड़ा था। इस मामले में जबलपुर और बांदा के युवक गिरफ्तार हुए थे। उनके पास से केवल 10-10 किलो गांजा की जप्ती बनाई गई थी। बाकी के गांजा को जीआरपी की टीम ने दूसरे तस्करों के माध्यम से बेच दिया। पुलिस ने जीआरपी के चार आरक्षकों को पकड़ा है जिसका खुलासा फिलहाल नहीं किया जा रहा है। पुराने आरक्षकों के रिकॉर्ड भी खंगाले जा रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि आरक्षक जितना माल पकड़ते थे, उससे कम दर्शाते थे और अधिकांश गांजा को बेच देते थे ।अधिक मुनाफा होने की वजह से इस काले धंधे को कई बड़े अधिकारियों का भी संरक्षण है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस पूरे मामले का चौंकाने वाला खुलासा होगा।