क्यों मनाई जाती है गणेश चतुर्थी एवं क्यों करनी चाहिए मिट्टी के गणेश की स्थापना, बता रहे हैं पीतांबरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ.दिनेश जी महाराज

गणेश जी का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। उस समय, माता पार्वती ने अपने शरीर के उबटन से गणेश की मूर्ति बनाई और उसमें प्राण डाल दिया। फिर, उन्होंने गणेश को अपना द्वार रक्षक बनाया।भगवान शिव ने माता पार्वती से मिलने का फैसला किया, लेकिन गणेश ने उन्हें अंदर नहीं आने दिया। शिव जी गणेश को पहचान नहीं पाये और उस पर क्रोध कर दिया। उन्होंने अपने त्रिशुल से गणेश का सिर काट दिया।माता पार्वती को अपने पुत्र का सर काटने का बहुत दुःख हुआ। भगवान शिव ने माता पार्वती को संपूर्ण करने के लिए एक हाथी का सर लगाकर गणेश को पुनर्जीवित किया।

गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की स्थापना की जाती है और फिर 10वें दिन उनका विसर्जन किया जाता है। पीताम्बरा पीठाधीश्वर आचार्य डाॅ.दिनेश जी महाराज ने बताया कि महर्षि वेदव्यास जी ने भगवान गणेश जी से महाभारत की रचना को लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की थी,जिसके बाद गणेश चतुर्थी के दिन ही व्यास जी ने श्लोक बोलना और गणेश जी ने उसे लिपिबद्ध करना शुरू किया था।बिना रूके 10 दिन तक लगातार लेखन किया और 10 दिनों में गणेश जी पर धूल-मिट्टी की परत चढ़ गई, गणेश जी इस परत को साफ करने के लिए 10वें दिन सरस्वती नदी में स्नान किया और इस दिन चतुर्दशी था इसलिए अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश भगवान का विसर्जन किया जाता है।
गणेश पुराण के अनुसार, गणेश चतुर्थी के लिए मिट्टी से गणेश जी की मूर्ति बनाने के लिए निम्नलिखित श्लोक हैं:
मृत्तिकायां गणेशं विद्यात् स्थापयेत् पूजयेत् तदा, सर्वसिद्धिश्च लभते स्यात् गणेशप्रीत्या

मिट्टी से गणेश जी की मूर्ति बनाकर स्थापित करनी चाहिए और पूजा करनी चाहिए, इससे सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है और गणेश जी की प्रीति मिलती है।
स्थापयेत् प्राणप्रतिष्ठां च मूर्तिं गणेश्वरस्य तु ; मृत्तिकायां विना देवि परं कालं न विद्यते
गणेश जी की मूर्ति मिट्टी से बनानी चाहिए और प्राणप्रतिष्ठा करनी चाहिए, इससे मूर्ति में जीवन आता है और गणेश जी की कृपा मिलती है।
चतुर्थ्यां शुक्लपक्षे तु भाद्रपदस्य मासे तु वा; मूर्तिं गणेश्वरस्य कुर्यात् स्थापयेत् पूजयेत् तदा
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी की मूर्ति बनानी चाहिए और स्थापित करनी चाहिए, इससे गणेश जी की कृपा मिलती है और सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

मृत्तिका देवी सर्वसिद्धिदायिनी यह श्लोक देवी पुराण में है, जिसका अर्थ है कि मिट्टी देवी सभी सिद्धियों को देने वाली है।

शास्त्रों के अनुसार, गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति बनाने के कई कारण हैं गणेश पुराण में कहा गया है कि मिट्टी की मूर्ति से गणेश जी की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है। मिट्टी को पवित्र माना जाता है, इसलिए मिट्टी की मूर्ति से गणेश जी की पूजा करना शुद्ध और पवित्र माना जाता है।मिट्टी की मूर्ति को जल में विसर्जित करने से गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है और जल प्रदूषण भी नहीं होता है।

पौराणिक कथा के अनुसार मिट्टी से बनी मूर्ति में भगवान गणेश जी का वास होता है।आपको यह भी बता दें कि मिट्टी के बने हुए गणेश जी से माँ लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं साथ ही मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा की पूजा करने से कई यज्ञों का फल मिलता है।पूजा करते समय भगवान गणेश जी की मिट्टी से बनी मूर्ति होना सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि मिट्टी में पांच तत्व होते हैं। भूमि,अग्नि, जल,वायु और आकाश यह सब एक मिट्टी में होते हैं।

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