


भगवान श्री कृष्ण 64 कलाओं में पारंगत थे। ऐसी कोई विधा नहीं है, जिसमें वो निपुण ना हो। इसलिए उनके जन्म उत्सव पर जहां उनके बाल लीलाओं दहीहंडी का प्रदर्शन होता है तो वही शौर्य प्रदर्शन की भी परंपरा है। इसी परंपरा का पालन बिलासपुर के सदर बाजार करोना चौक में विगत 41 सालों से किया जा रहा है। करोना चौक युवा मंच द्वारा स्वर्गीय कमल किशोर अग्रवाल की स्मृति में यहां मलखम्ब प्रतियोगिता की शुरुआत की गई थी, जो आज पूरे प्रदेश में चर्चित है। इसका आकर्षण ऐसा है कि दूर-दूर से प्रतिभागी मलखम्ब पर चढ़ने पहुंचते हैं । शुरुआती दौर में इनामी राशि 500 रुपये घोषित की गई थी जो आज बढ़कर 15,000 हो चुकी है। इनामी राशि के अलावा यह उपलब्धि किसी को भी गौरवान्वित करती है।

यही कारण है कि शाम से ही यहां सुरमा इस मलखम्ब पर चढ़ने जोर आजमाइश करते रहे , लेकिन आयोजको द्वारा मलखंब पर इतनी चिकनाई लगाई गई थी कि इस पर चढ़ना आसान नहीं था। हर वर्ष की भांति इस बार भी इस प्रतियोगिता में बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने भाग लिया, तो वहीं बड़ी संख्या में दर्शक भी इसे देखने पहुंचे। इनमें बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल, सीएमडी कॉलेज के चेयरपर्सन डॉक्टर संजय दुबे, कमल सोनी और किरण सिंह जैसी हस्तियां शामिल थी। इस अवसर पर अमर अग्रवाल ने कहा कि बिलासपुर के इस आयोजन की ख्याति दूर-दूर तक फैल चुकी है और हर वर्ष बड़ी संख्या में शहर वासी इसे देखने पहुंचते हैं। यह कार्य बड़ा कठिन लगता है लेकिन ईश्वर की ऐसी कृपा कि भगवान श्री कृष्ण के जन्म लेते ही कोई ना कोई इस कार्य में सफल हो ही जाता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सीएमडी कॉलेज के चेयरपर्सन डॉक्टर संजय दुबे ने कहा कि ऐसे पर्व समूह में खुशी मनाने का अवसर लाते हैं। यह समाज में एकजुटता, शांति और भाईचारे का संदेश देते हैं। इस वर्ष करोना चौक मलखम्ब प्रतियोगिता में शाम से ही प्रतिभागी मलखम्ब पर चढ़ने का असफल प्रयास करते रहे। एकल और समूह में भी किसी को कामयाबी नहीं मिल रही थी, लेकिन जैसे ही भगवान श्री कृष्ण ने रात 12:00 बजे जन्म लिया ठीक इसके 10 मिनट बाद कस्तूरबा नगर के प्रतीक बघेल, विजय यादव और अज्जू यादव को मलखम्ब में चढ़ने में कामयाबी मिल गई , तो लोग यहां हर्ष से शोर मचाने लगे। विजेताओं को अतिथि अनिल टाह के हाथों रनिंग शील्ड और इनामी राशि प्रदान की गई। विजेताओं को व्यापारियों की ओर से गिफ्ट हैंपर भी प्रदान किये गए। कार्यक्रम को सफल बनाने में चंचल सलूजा, लकी यादव, अजीत मिश्रा, बसंत शर्मा आदि का सहयोग रहा।
