विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस, संजय अनंत जी की कलम से..


कौन सी आज़ादी? कैसी आजादी?
वो केवल transfer of power था,गोरी चमड़ी वालो की जगह,भूरी चमड़ी वाले बैठ गए
बिना लाहौर, बिना पेशावार, बिना ननकाना साहिब , बिना ढाका और बिना बलोचीस्तान वाली माता हिंगलाज की सिद्ध पीठ वाला भारत???
आज 14 अगस्त है, अब खास ये की पाकिस्तान वाले इसे आज़ादी का दिन मानते है, जब देश के बहुत बड़े हिस्से में इधर जश्न की तैयारी हो रही थी तो इतना कुछ उन दिनों घटित हुआ,जितना शायद कई सौ बरस में न बीता हो, जिन इलाकों में मुस्लिम आबादी ज्यादा थी,वहाँ गैर मुस्लिमो के लिए मानो विपदा का पहाड़ टूट पड़ा हो, कभी कभी इतिहास बन चुके उस वक्त को याद करता हु,तो रूह कांप जाती है


पेशावर में बचे हुए सिखो का जुलुस निकाला गया , सामने औरते थी शरीर में एक कपडा नहीं..किसी का स्तन कटा था तो कोई मानसिक संतुलन खो बैठी ,छोटी छोटी बच्चियों के साथ तब तक बदल बदल कर बलात्कार किया जब तक वे मर नहीं गयी..
क्या गुनाह था ? ये सब पाकिस्तान के मुस्लिम लेखकों ने भी लिखा है, मौलवियों ने आम मुस्लिमो के मन में इतनी नफरत भरी की हैवान भी कांप जाए दरिंदगी देख कर, जब ट्रेन लाहौर से अटारी पहुँचती तो कोई भी जिन्दा न होता, सिर्फ खून खून और खून..
पंजाबी अपनी बच्चियों को खुद जहर दे कर मार देते, शील बचाने कुआं में कूद कर न जाने कितनी जौहर कर गई कोई गिनती नहीं,
मुस्लिम लीग का डायरेक्ट एक्शन याद आया, सिर्फ कलकत्ता में सिर्फ 3 दिन में हज़ारो हिन्दू क़त्ल किये गए, बलात्कार की तो कोई गिनती नहीं, लाशें सड़को सड़ती रही। क्या क्या याद करोगे, जो सिंधी ,पंजाबी ,बंगाली अपनी जमीन छोड़ कर आये,उनके पूर्वज ही बता सकते है क्या उन लोगो ने भोगा
खैर हम लोग भूल गए बहुत कुछ, ढाका की ढाकेश्वरी देवी , गुरु नानक जी जन्म स्थान श्री ननकाना साहिब, माँ हिंगलाज की शक्ति पीठ, लाहौर के पास स्थित कटासराज का भव्य मंदिर , पेशावर का गोरखनाथ जी का मंदिर, क्या भूलू क्या याद करू
ये आधी अधूरी आज़ादी चलिये वो तो सब छूट गया ,कश्मीर घाटी तो भारत में है सारे मंदिर खँडहर हो रहे है, कश्मीरी पंडितों की दर्दनाक कहानी.. मिसेज कौल को रेप किया जा रहा था आँखों में पट्टी बांध कर, वो आवाज़ पहचान रही थी उनके ही महोल्ले के मुस्लिम लड़के थे कुछ को तो उन्होंने गोद में खिलाया था बस इतना ही,
न मैं और लिख पा रहा हु न आप पढ़ पाएंगे


संजय अनंत©

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