झोलाछाप डॉक्टर के इलाज से मौत के आरोप के 15 दिन बाद मृतक के शव को कब्र से निकाल कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। रमतला में रहने वाला दयाल खरे सत्या प्लांट में काम करता था। वही अपने पूरे परिवार का भरण पोषण कर रहा था। 6 जुलाई को जब वह काम से वापस लौटा तो उसकी तबीयत बिगड़ गई। परिजनों ने रमतला में ही प्रेक्टिस करने वाले झोलाछाप डॉक्टर जय भारद्वाज को इलाज के लिए घर पर बुलाया। डॉक्टर ने बिना किसी जांच और जानकारी के दयाल खरे को दो इंजेक्शन लगा दिए, जिससे उसकी तबीयत ठीक होने की जगह और बिगड़ गई और वह तड़पने लगा। परिजनों का आरोप है कि घर पर ही उसकी मौत हो गई लेकिन झोलाछाप डॉक्टर जय भारद्वाज ने उनसे कहा कि वे दयाल खरे को सिम्स लेकर जाए। साथ ही उसने यह चेतावनी भी दे दी कि अस्पताल में बिल्कुल ना बताएं कि दयाल खरे का कहीं और इलाज कराया था क्योंकि इससे सिम्स वाले उसका इलाज नहीं करेंगे।

मृतक

जब दयाल खरे के परिजन उसे लेकर सिम्स पहुंचे तो दयाल को मृत घोषित कर दिया गया। अपने ऊपर टूट चुके इस आपदा से परेशान परिजनों ने बिना सोचे समझे दयाल खरे का अंतिम संस्कार भी कर दिया लेकिन बाद में उन्हें एहसास हुआ कि दयाल की मौत झोला छाप डॉक्टर के इलाज की वजह से हुई तो उन्होंने आईजी और एसपी से मिलकर इस मामले में शिकायत की। प्रशासन के आदेश के बाद रविवार को पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में दयाल खरे के कब्र को खोद कर उसके शव को निकाला गया और उसे पोस्टमार्टम के लिए सिम्स भेजा गया। दयाल की पत्नी सुभद्रा खरे आरोप लगा रही है कि उसके क्षेत्र में सक्रिय झोला छाप डॉक्टर जय भारद्वाज के गलत इलाज के चलते ही उसके पति की जान गई है। इस आरोप के बाद बिलासपुर तहसीलदार अतुल वैष्णव और कोनी पुलिस की मौजूदगी में दयाल के शव को कब्र को खोद कर बाहर निकाला गया। बताया जा रहा है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्यवाही की जाएगी। दयाल खरे की मौत के बाद पुलिस और प्रशासन ने झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है। ग्रामीण इलाकों में सक्रिय ऐसे झोलाछाप डॉक्टर की जांच कर उनके क्लिनिक पर ताला लगाया जा रहा है।

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