अंचल के सबसे बड़े और सर्व सुविधायुक्त बच्चों के अस्पताल श्री शिशु भवन ने अपने नाम एक और उपलब्धि दर्ज की है। जांजगीर चांपा में रहने वाले ब्यास यादव और पुष्पा यादव के घर जब बच्चे ने जन्म लिया तो इसका उत्सव मनाने की बजाय वे चिंता में डूब गए क्योंकि बच्चा जटिल टी ई एफ से ग्रसित था। दरअसल हर साल देश में 18,000 शिशु इस बीमारी के साथ पैदा होते हैं जिनमें से मात्र 10% ही सही समय पर सही अस्पताल तक पहुंच पाते हैं ।इनमें से भी केवल एक तिहाई को ही सफल ऑपरेशन और पोस्ट सर्जरी चिकित्सा से बचाया जा सकता है । नवजात के पैदा होते ही पता चला कि उसकी आहार नली ठीक से नहीं बनी है साथ ही बच्चे की स्वांस नली भी आहार नली के साथ चिपकी हुई थी।

डॉ श्रीकांत गिरी

दरअसल पैदा होने के बाद जब बच्चे को दूध पिलाया गया तो वह नीला पड़ने लगा ।इसके बाद इस बीमारी की जानकारी हुई। जांजगीर-चांपा में प्रसव के बाद इस जटिल समस्या के सामने आने पर नवजात को श्री शिशु भवन , बिलासपुर रेफर किया गया, जहां पहुंचते ही नवजात की जान बचाने की कोशिश शुरू हो गई । इस सर्व सुविधा युक्त बच्चों के अस्पताल में त्वरित इलाज करते हुए डॉक्टर अनुराग कुमार ने जटिल ऑपरेशन करते हुए बच्चे के आहार नली और श्वास नली को अलग किया। फिर नवजात को वेंटिलेटर की मदद से सांस दी गई। नवजात के इलाज में शिशु रोग विशेषज्ञों की टीम में शामिल डॉक्टर रवि द्विवेदी, डॉक्टर प्रणव अंधारे और डॉक्टर अभिनव अभिमन्यु पाठक ने सतत निगरानी की , जिसका त्वरित असर भी दिखा और जटिल बीमारी से ग्रसित शिशु ने अब स्तनपान करना भी शुरू कर दिया है। नवजात के आहार नली में पाइप के द्वारा दूध पिलाना शुरू किया गया, जिसके बाद बच्चे की सेहत बेहतर होती चली गई।

डॉ प्रणव अंधारे

श्री शिशु भगवान के संचालक डॉक्टर श्रीकांत गिरी ने बताया कि इस तरह की बीमारी दुर्लभ है और इसका इलाज भी कठिन है। यही कारण है कि ऐसे अधिकांश बच्चों को बचाना मुश्किल होता है, लेकिन इस नवजात की किस्मत अच्छी थी कि उसे सही समय पर सही अस्पताल लाया गया, जिससे अब वह खतरे से बाहर है ।

डॉ रवि द्विवेदी

श्री शिशु भवन की शिशु मंगल योजना

इस मौके पर डॉक्टर श्रीकांत गिरी ने बताया कि बच्चा अमीर का हो या गरीब का, सबकी जान की एक जैसी कीमत है। कमजोर आर्थिक स्थिति की वजह से जो माता-पिता अपने बच्चों का ऐसे बड़े अस्पताल में इलाज नहीं करा सकते हैं, उनके लिए श्री शिशु भवन ने एक अभिनव पहल की है, जिसके तहत अब हर मंगलवार सुबह 10 से शाम 4 बजे तक श्री शिशु मंगल योजना के तहत ऐसे बच्चों की निशुल्क ओपीडी जांच और परामर्श दी जाएगी।

इधर 9 महीने तक अपनी कोख में पालने और पल-पल शिशु के इंतजार में पलके बिछाकर बैठने वाली माँ को जब पता चला कि उसका बच्चा ऐसे जटिल बीमारी से ग्रसित है तो उसकी खुशी मातम में बदल गई लेकिन उनके लिए अच्छी खबर यह है कि वह सही समय पर श्री शिशु भवन पहुंच गई, जहां विशेषज्ञों की टीम ने जटिल मगर सफल ऑपरेशन संपन्न करते हुए नवजात को नई जिंदगी दी है। शनिवार को श्री शिशु भवन से नवजात को छुट्टी दे दी गई और उन्हें हंसते-हंसते विदा किया गया। यह जहां श्री शिशु भवन की एक बड़ी उपलब्धि है तो वही उस माता-पिता के लिए इससे बड़ा उपहार कुछ हो नहीं सकता जो अपने साथ घर आए नए मेहमान को लेकर लौट पाये हैं।

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