शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर श्रीकांत गिरी की सलाह, तेज गर्मी के इस मौसम में कैसे रखें नवजात शिशुओ और बच्चों का खास ध्यान

इन दोनों पड़ रही तेज गर्मी की वजह से अचानक अस्पतालों में बीमार नवजात शिशुओं के पहुंचने का सिलसिला बढ़ गया है। फिलहाल तेज गर्मी को लेकर मौसम विभाग ने भी 30 मई तक के लिए अलर्ट जारी किया है। आजकल दोपहर में तेज लू चल रही है, यहां तक कि शाम के बाद भी गर्म हवा महसूस की जा रही है। ऐसे वातावरण में जब वयस्क भी सावधानी न बरतने पर बीमार पड़ सकते हैं तो बच्चों की स्थिति आसानी से समझी जा सकती है।

नवजात शिशु के लिए है यह कठिन समय

बिलासपुर के जाने-माने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर श्रीकांत गिरी ने बताया कि इन दिनों पड़ रही तेज गर्मी बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है, खासकर नवजात शिशुओं के लिए यह है कठिन घड़ी है ।उन्होंने बताया कि नवजात और प्रीमेच्योर बेबी में तेज गर्मी की वजह से सामान्य दिनों की अपेक्षा पीलिया की आशंका अधिक देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि ऐसा होते ही तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए, तो वहीं उन्होंने कहा कि तेज गर्मी का सर्वाधिक असर नवजात शिशुओं पर पड़ता दिख रहा है, क्योंकि उनके शरीर में तापमान नियंत्रित करने की क्षमता पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाती, इसीलिए तेज गर्मी के दौरान बच्चे बिल्कुल सुस्त और निर्जीव से हो जाते हैं।

ऐसा तब और अधिक होता है जब बच्चों को कूलर, पंखा या एयर कंडीशनर की सुविधा नहीं मिलती। कई बार कूलर पंखा होने के बाद भी कई कई घंटे बिजली चली जाने से भी छोटे बच्चों के बीमार पड़ने की आशंका बन जाती है। डॉक्टर श्रीकांत गिरी बताते हैं कि ऐसा होने पर बच्चे दूध पीना बंद कर देते हैं और उनके शरीर का तापमान बढ़ जाता है, जिससे पेरेंट्स को लगता है कि बच्चों को बुखार हुआ है और वे उसे बुखार की दवा देने लगते हैं ,जबकि इन परिस्थितियों में बुखार की दवा राहत नहीं देती। डॉक्टर गिरी इस परिस्थितियों का इलाज बताते हुए कहते हैं कि ऐसा होने पर तत्काल बच्चों को गीले कपड़े से स्पंज करे, उसे कूलर पंखे में रखे और हर 2 घंटे के अंतराल से स्तनपान कराये। डॉक्टर के अनुसार मां के दूध में 90% पानी होता है इसलिए 6 माह तक के शिशुओं में मां का दूध डिहाइड्रेशन दूर करने की सबसे बड़ी दवा है। उन्होंने कहा कि गर्मी के इस मौसम में नवजात बच्चे जब सुस्त पड़ जाए और उनका हिलना डुलना भी कम हो जाए तो ऐसी परिस्थितियों में उन्हें ठंडी जगह रखने के साथ जल्द-जल्द स्तन पान कराना चाहिए। ऐसी परिस्थितियों में भी बच्चों को पानी पिलाने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए।

बच्चों को भी इन बातों का करना चाहिए पालन

डॉक्टर श्रीकांत गिरी आगे बताते हैं कि इन प्रयासों के बाद भी अगर बच्चे की स्थिति में सुधार न हो तो उन्हें तत्काल किसी शिशु रोग विशेषज्ञ को दिखाने की आवश्यकता होती है ,तो वही डॉक्टर श्रीकांत गिरी का मानना है कि बड़े बच्चों को भी इस गर्मी के मौसम में खास ध्यान रखने की जरूरत है। बच्चे अक्सर सुबह देर तक बाहर खेलते हैं या फिर शाम होने से पहले ही खेलने निकल जाते हैं । यह उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है । उन्होंने बताया कि इस मौसम में बच्चों को बिल्कुल सुबह-सुबह या फिर सूरज ढलने के बाद ही खेलने या फिर किसी और काम से बाहर जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि गर्मी के इस मौसम में दौड़ भाग और खेलकूद से शरीर का पसीना तेजी से निकलता है, जिसकी पूर्ति केवल सादे पानी से नहीं हो सकती, क्योंकि पसीने के साथ शरीर का मिनरल भी बाहर निकल जाता है। इसकी पूर्ति के लिए उन्होंने फल या इलेक्ट्रॉल के सेवन की सलाह दी है।

जेब में प्याज रखने के पीछे का असली लॉजिक


उन्होंने कहा कि कुछ लोगों में यह मिथक घर कर गई है कि गर्मी के दिनों में जेब में प्याज रखकर घूमने से लू नहीं लगती। उन्होंने बताया कि असल में पुराने जमाने में लोग गर्मी के मौसम में जेब में प्याज रखकर चलते थे और खूब प्यास लगने पर वे नमक और प्याज को खा लेते थे इससे मिनरल की आपूर्ति हो जाती थी जो बाद में जेब में प्याज रखने के मिथक में बदल गई ।

गर्मी के इस मौसम में खानपान का रखें विशेष ध्यान

श्री शिशु भवन के संचालक डॉक्टर श्रीकांत गिरी ने कहा कि इस गर्मी के मौसम में खान-पान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। खासकर इस मौसम में दूषित पानी के उपयोग से पीलिया की समस्या बढ़ जाती है ।इसके लिए उन्होंने पानी को उबालकर पीने की सलाह दी। साथ ही कहा कि मौसम अनुकूल होने से बैक्टीरिया की संख्या भी बढ़ती है, इससे भी बचाव की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस मौसम में गरिष्ठ भोजन, फास्ट फूड और सड़े गले फलों का सेवन नहीं करना चाहिए। उसकी जगह घर में बने सादे भोजन को प्राथमिकता देने की बात उन्होंने कही।

बोरे बासी भी है बेहतर विकल्प

डॉक्टर श्रीकांत गिरी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध बोरे बासी एक बेहतर विकल्प हो सकता है, जो शरीर में पानी और मिनरल की कभी को पूरा करता है। दरअसल रात को भिगोए गए भात में विटामिन बी 12 और कई अन्य पोषक तत्व उत्पन्न हो जाते हैं इसके सेवन से व्यक्ति को तरलता और पोषण एक साथ मिलती रहती है।

डॉक्टर की सलाह

डॉक्टर श्रीकांत गिरी ने कहा कि गर्मी इन दिनों अपने चरम पर है , इसलिए बच्चों और अन्य सभी को खास सावधानी बरतने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि तेज गर्मी के इन दिनों में यथासंभव प्रयास होना चाहिए कि दोपहर में घर से ना निकले और अगर निकालना ही पड़े तो लगातार तरल पदार्थ का सेवन करते रहे। खुद का बचाव छाता, स्कार्फ, टोपी और धूप के चश्मे से करें । एकदम ठंडा से तेज धूप में न जाए या फिर तेज धूप से एकदम ठंडा में ना आए , क्योंकि इससे शरीर के तापमान को नियंत्रित करने की क्षमता गड़बड़ा जाती है। वहीं उन्होंने कहा कि अगर हीट वेव के इस दौर में किसी को लू लग जाए तो उसका इलाज कराना जरूरी है क्योंकि यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।

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