15 लाख से अधिक के साइबर ठगी के मामले में बिलासपुर पुलिस का खुलासा, ठग गिरोह के तार दोहा कतर से हैं जुड़े हुए, मास्टरमाइंड की तलाश

आकाश मिश्रा

बिलासपुर पुलिस ने साइबर ठगी के बड़े मामले का खुलासा किया है, जिसकी शुरुआत पार्ट टाइम जॉब से हुई । इस ठगी के मामले में अंतर राज्यीय शातिर अपराधीयो की संलिप्तता पाई गई है

बिलासपुर के पारिजात एक्सटेंशन में रहने वाले बैंक मैनेजर सुनील कुमार को फर्जी कंपनी कॉइन स्विच इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट कंपनी की कथित महिला एच आर ने टेलीग्राम एप के माध्यम से संपर्क कर पार्ट टाइम जॉब के तहत छोटे-छोटे टास्क पूरी कर कमाई करने का ऑफर दिया। सुनील कुमार उसके झांसे में आ गए। टास्क पूरा करने पर उन्हें ₹200 दिया गया। फिर बाद में बताया गया कि उनका टास्क गलत हो गया है, जिसके एवज में उन्हें पैसे जमा करने पड़े। उन्हें बताया गया कि यह पैसे बाद में रिटर्न हो जाएंगे। इसी तरह झांसे में लेकर 10 सितंबर 2023 से लेकर 12 सितंबर 2023 तक कुल 15 लाख 4,850 की ठगी की गई। खुद के ठगे जाने का एहसास होने पर सुनील कुमार ने इसकी शिकायत पुलिस में की। साइबर पुलिस ने फोन नंबर, बैंक खातों, बैंक स्टेटमेंट, ऑनलाइन ट्रांजैक्शन, एटीएम विड्रोल आदि की जांच की । इसके लिए सैकड़ो आईएमईआई नंबर, फोन नंबर आदि की जांच की गई तो पता चला कि ठग गिरोह राजस्थान के गुडपालिया और लडानू से ऑपरेट कर रहा है इसके बाद एक टीम राजस्थान और दिल्ली रवाना हुई। करीब एक सप्ताह तक राजस्थान में रहकर आरोपियों का पता ढूंढा गया। पुलिस के हाथ इसी जांच में अजय सिंह और गजेंद्र स्वामी लगे। स्थानीय पुलिस की मदद से गज्जू उर्फ गजेंद्र स्वामी और अजय सिंह को हिरासत में लेकर पूछताछ किया गया तो पूरे मामले का खुलासा हुआ। यह लोग दोहा की राजधानी कतर में लेबर ठेकेदारी की आड़ में ऑनलाइन फ्रॉड का काम कर रहे थे। आसपास के मजदूरों के दस्तावेज से उन्होंने फर्जी सिम कार्ड और फर्जी बैंक अकाउंट खोल लिया था, जिसकी मदद ठगी के लिए ली जाती थी। यह लोग विदेश में काम करने वाले मजदूरों से कतर की मुद्रा रियाल प्राप्त कर यहां मजदूरों के परिवार को भारतीय मुद्रा में पेमेंट करते थे। यह वही रकम होती थी जो यह लोग ऑनलाइन ठगी से प्राप्त करते थे। लोगों को ठगने के से हांसिल रकम को मजदूरों के परिवार के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता था।


जांच में अजय सिंह और गज्जू के खाते से 5 लाख रुपये के ट्रांजैक्शन की जानकारी मिली, पुलिस ने फिलहाल उनके अकाउंट में 5 लाख रुपये होल्ड कर दिया है। साथ ही पीड़ित को एक लाख 27 हजार रुपए कोर्ट के माध्यम से बैंक होल्ड से प्राप्त हुआ है। पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि साइबर ठग नए-नए तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए कोई भी व्यक्ति अनजान नंबर से जब अपने आप को पुलिस का अधिकारी, सीबीआई और ईडी का अधिकारी बताकर पैसों की मांग करे तो सावधान हो जाना चाहिए। पुलिस ने यह भी कहा कि अनजान नंबर के साथ बातचीत में निजी जानकारी , बैंक की जानकारी, ओटीपी , आधार, कार्ड पैन कार्ड ,उनके फोटो आदि शेयर नहीं करना चाहिए। अंजन वेबसाइट और अनाधिकृत ऐप डाउनलोड और सर्च करने से भी बचने की जरूरत है । सबसे बड़ी बात है कि कम परिश्रम से अधिक लाभ कमाने या रकम दुगुना करने के प्रलोभन में बिल्कुल न फंसे। यह ठगी होने की गारंटी है ।

पुलिस ने जानकारी देते हुए यह भी कहा कि कोई भी स्वयं की पहचान छुपा कर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक अश्लील लाइव चैट आदि से बचे। परीक्षा में अधिक अंकों से पास कर देने के झांसा देने वालों ,खासकर +92 नंबर से आने वाले व्हाट्सएप कॉल से भी बचने की सलाह दी गई । साथ ही पुलिस ने कहा कि अगर साइबर ठगी हो जाए तो तत्काल नजदीकी थाना या हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करना चाहिए। पुलिस से ऑनलाइन शिकायत भी की जा सकती है। इस मामले में पुलिस ने राजस्थान के लाडनूं निवासी अजय सिंह और गजेंद्र उर्फ गज्जू स्वामी को गिरफ्तार किया है, जिनके खिलाफ धोखाधड़ी और अन्य धाराओं के तहत मामले दर्ज हुए हैं। इस मामले में मुख्य सरगना मनोज स्वामी लेबर ठेकेदारी की आड़ में दोहा से रहकर पूरा खेल ऑपरेट कर रहा है। उसके खिलाफ भी पुलिस कार्यवाही की तैयारी में है।

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