


ज्ञानी कहते हैं की दया ही दुख का कारण बनता है ।ऐसा ही कुछ ढाबा संचालक जितेंद्र खांडेकर के साथ भी हुआ। मोहतरा में रहने वाले जितेंद्र खांडेकर का नेशनल हाईवे क्रमांक 49 किनारे ग्राम मोहतरा चौक के पास जनता ढाबा है, जिसका संचालन वे अपने परिवार के साथ करते हैं। ढाबा के साथ ही उनका निवास भी है। कुछ समय पहले उन्होंने अपनी मौसी के बेटे पामगढ़ निवासी देव सिंह दिनकर पर दया कर उसे अपने साथ काम पर लगा लिया। करीब 8 महीने तक देव सिंह दिनकर न केवल ढाबा के कामकाज में हाथ बटाता बल्कि जितेंद्र खांडेकर की पिता की भी सेवा करता रहा।
18 मई को जब जितेंद्र खांडेकर की मां ने शादी में जाने के लिए पहनने के उद्देश्य से गहने निकालने को अलमारी खोला तो देखा कि अलमारी में मौजूद करीब साढ़े 3 लाख रुपए के गहने और जमीन बिक्री से मिले 3 लाख रुपये नगद गायब है। तो वहीं यह भी पता चला कि ढाबा में काम करने वाला मौसी का लड़का देव सिंह भी गायब है। जिसके बाद जितेंद्र ने मस्तूरी थाने में इसकी शिकायत दर्ज कराई।

पुलिस संदिग्ध आरोपियों को पड़कर पूछताछ कर रही थी, कि इसी दौरान उसे सूचना मिली कि मुख्य संदेही देव सिंह दिनकर उर्फ घोमो पामगढ़ में अपने घर में छुपा हुआ है। पुलिस ने दबिश देकर उसे घर से धर दबोचा, जिसके पास से करीब साढे तीन लाख रुपए के जेवर और नगद 79,000 ही मिला। नगद 3 लाख में से उसने ₹17,000 का मोबाइल ₹400 का बैग और ₹250 का जूता खरीदा था, जिसे भी पुलिस ने जप्त कर लिया है। उसने पूछताछ में उसने बताया कि ₹300000 बैग में भरकर वह शराब भट्टी में बैठकर शराब पी रहा था। इस दौरान किसी ने उससे भी रुपए चुरा लिए । यानी चोर की रकम भी किसी और ने चुरा ली। इसे चोर पर मोर कह सकते हैं। पुलिस ने चोरी के आरोप में देव सिंह दिनकर को गिरफ्तार कर लिया , जिसके पास से करीब साढ़े छह लाख रुपए में से मात्र 4 लाख 81 हजार रुपए की ही बरामदगी हो पाई है। इस घटना ने सबसे बड़ा सबक यह सिखाया कि किसी पर दया करना कभी-कभी किस तरह से दुख का कारण बन सकता है। अपने ही रिश्तेदार के घर चोरी की वारदात को अंजाम देने वाले देव सिंह को जेल भेज दिया गया है।