नाम वापसी के बाद अब बिलासपुर लोकसभा सीट पर 37 प्रत्याशी मैदान में, पांच निर्दलीयों उम्मीदवारों ने सोमवार को लिया नाम वापस

अली अकबर

नाम वापसी के बाद बिलासपुर लोकसभा सीट में प्रत्याशियों की स्थिति स्पष्ट हो गई है। बिलासपुर लोकसभा सीट से इस बार मैदान में 37 प्रत्याशी है। जबकि सोमवार को पांच निर्दलीयों उम्मीदवारों ने नाम वापस ले लिया। वैसे तो बिलासपुर लोकसभा सीट से भाजपा के तोखन राम साहू और कांग्रेस के देवेंद्र यादव के बीच ही मुख्य मुकाबला है । तोखन लोरमी के तो देवेंद्र भिलाई के हैं। सोमवार को नाम वापसी के आखिरी दिन 5 निर्दलीय प्रत्याशियों विकास खांडेकर, नवीन साहू, अर्चना मारकंडेय, सच्चिदानंद कौशिक और कमल कुमार जांगड़े ने अपना नाम वापस ले लिया । इसके बाद अब 37 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। पिछले बार यानी साल 2019 में बिलासपुर लोकसभा सीट से 25 प्रत्याशी मैदान में थे। नियमानुसार 16 प्रत्याशियों के लिए हरएक वीवीपेट के साथ दो बैलट यूनिट और एक नोटा यूनिट लगानी पड़ती है। चूंकि इस बार मैदान में 37 प्रत्याशी है इसलिए तीन बैलट यूनिट लगानी पड़ेगी। इस तरह से पोलिंग पार्टियों के थैली का बोझ बढ़ेगा। वेलेट यूनिट की संख्या बढ़ने से कमिश्निंग और रेडमाइग्रेशन का काम भी बढ़ जाएगा।


साल 1991 से लेकर 2019 तक बिलासपुर लोकसभा सीट पर कुल 15 चुनाव हुए हैं जिसमें सात बार कांग्रेस और आठ बार भाजपा जीत चुकी है। 2019 में भाजपा प्रत्याशी अरुण साव ने कांग्रेस के अटल श्रीवास्तव को 1 लाख 41 हजार 763 वोटो से हराया था। अरुण साव को 6 लाख 34 हजार 569 यानी 53% और अटल श्रीवास्तव को चार लाख 92 हजार 796 यानी 41% वोट मिले थे । तीसरे स्थान पर बहुजन समाज पार्टी के उत्तम दास रहे जिन्हें 21,180 वोट मिले। 1996 से यानी पिछले 28 सालों से बिलासपुर लोकसभा सीट भाजपा के कब्जे में है।

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