


छत्तीसगढ़ वह राज्य है जहां पूरे देश में सर्वाधिक शराब की बिक्री और खपत होती है, लेकिन अब यहां शराब पर राशनिंग की जा रही है। कोई व्यक्ति एक समय पर कितनी बोतल शराब खरीद सकता है यह तय कर दिया गया है। जिस तरह से छत्तीसगढ़ में शराब की भारी खपत है, उससे स्पष्ट है कि यहां के अधिकांश लोग शराब सेवन करते हैं और यही लोग मतदाता भी है, लेकिन ठीक चुनाव से पहले शराब नीति में जिस तरह से बदलाव किया जा रहे हैं इससे मदिरा प्रेमी सरकार से नाराज भी हो सकते हैं । अभी हाल ही में शराब की कीमत बढ़ा दी गई। अब उसके बाद यह तय कर दिया गया है कि ग्राहक एक बार में एक बोतल से ज्यादा शराब नहीं खरीद पाएगा। शराब की कालाबाजारी रोकने के नाम पर यह नया नियम जारी किया गया है, जिसमें अब शराब दुकान से एक व्यक्ति एक बार में सिर्फ एक बोतल ही शराब ले पाएगा। वह आधे लीटर की दो, या फिर पांव वाली चार बोतल ले सकता है। यह नियम बियर के लिए भी लागू होगी। हालांकि पहले की तरह ही एक व्यक्ति अपने पास एक साथ तीन लीटर से ज्यादा शराब नहीं रख सकेगा।

आबकारी विभाग का दावा है कि इससे शराब के अवैध स्टोरेज और अवैध बिक्री पर रोक लगेगी। पहले कोई भी व्यक्ति चार बोतल शराब खरीद सकता था, हालांकि यह नियम केवल कागजों में ही था । दुकान से लोग जितनी चाहे उतनी शराब खरीद रहे थे, लेकिन अब नियम बदल गया है। अब प्रदेश के देसी, अंग्रेजी और प्रीमियम शराब दुकानों में एक समय में किसी भी ग्राहक को एक ही बोतल मिलेगी। अगर किसी को अधिक मात्रा में शराब चाहिए तो उसे या तो अलग-अलग शराब दुकान में जाकर शराब खरीदनी होगी या फिर कई व्यक्तियों को एक साथ जाकर शराब खरीदनी पड़ेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह नियम व्यावहारिक नहीं है और इससे शराब की काला बाजारी ही बढ़ेगी। हाल ही में ब्रांडेड और नॉन ब्रांडेड शराब की कीमत में करीब 25 फ़ीसदी बढ़ोतरी करने से नाराज मदिरा प्रेमी सरकार की इस नीति को बकवास बता रहे हैं । एक तरफ सरकार 11, 000 करोड़ का राजस्व शराब से हासिल करना चाहती है तो दूसरी ओर शराब की इस तरह से राशनिंग कर वह एक तरफ जहां शराब प्रेमियों को नाराज कर रही है तो वहीं लक्ष्य से भी भटक सकती है, क्योंकि जाहिर तौर पर शराब की बिक्री इससे घटेगी और इससे सरकार को राजस्व का नुकसान होगा। जानकार बता रहे हैं कि अब से कोई भी व्यक्ति एक समय में किसी एक शराब दुकान से केवल 1 लीटर ही शराब खरीद सकता है अगर उसे और शराब की जरूरत है तो उसी दुकान पर उसे एक-दो घंटे बाद शराब मिल सकती है। जिसे शराब खरीदना है वह तो कोई भी उपाय ढूंढ ही लेगा लेकिन इस अव्यवहारिक नियम से केवल लोगों की परेशानी ही बढ़ेगी, खासकर चुनाव के ऐसे मौके पर इस तरह के तुगलकी नियम से बचने की जरूरत थी।
