छत्तीसगढ़ बंगाली समाज ने भी धूमधाम से मनाया बसंत पंचमी पर्व, बांग्ला भवन में मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर पारंपरिक रूप से की गई पूजा अर्चना

बंगाली समाज में पारंपरिक रूप से मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है। बसंत पंचमी पर बंगाल में स्कूल और सार्वजनिक आयोजनों के अतिरिक्त प्रत्येक घर में देवी सरस्वती की पूजा अर्चना होती है। देवी सरस्वती विद्या, कला, संगीत की देवी है इसीलिए विद्यार्थी देवी की पूजा अर्चना करते हैं ।बंगाल में इस दिन बच्चे पढ़ाई नहीं करते बल्कि अपनी पाठ्यपुस्तक देवी के चरणों में अर्पित कर उनसे विद्या का आशीर्वाद मांगते हैं । बंगाल में सरस्वती पूजन से पहले बेर का सेवन भी नहीं किया जाता। मां सरस्वती को बेर अर्पित कर प्रसाद स्वरूप फिर बेर ग्रहण करने के बाद ही बेर खाया जाता है ।

इस परंपरा का पालन बिलासपुर में भी छत्तीसगढ़ बंगाली समाज द्वारा किया जा रहा है। हर वर्ष की भांति इस बार भी तोरवा धान मंडी चौक के पास स्थित बांग्ला भवन में छत्तीसगढ़ बंगाली समाज द्वारा सरस्वती पूजन का आयोजन किया गया, जिसमें पारंपरिक पीले वस्त्र धारण कर महिलाएं शामिल हुई ।बंगाल के पुजारी ने मंत्र उच्चारण कर पूजा अर्चना की। फिर सभी भक्तों ने पुष्पांजलि दी

बंगाल में सरस्वती पूजा के दिन ही छोटे बच्चे विद्या आरभ करते हैं। पुजारी द्वारा स्लेट पर बच्चों से प्रथम अक्षर लिखवाया जाता है और कामना की जाती है कि जीवन में सदा देवी सरस्वती की कृपा बच्चे पर होगी। बिलासपुर में सरस्वती पूजा के अवसर पर छत्तीसगढ़ बंगाली समाज द्वारा रोचक स्पर्धा का भी आयोजन किया गया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं में भोग प्रसाद का वितरण किया गया।

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ बंगाली समाज के प्रदेश अध्यक्ष आर एन नाथ, प्रदेश महासचिव पल्लव धर , पार्थ चक्रवर्ती, संरक्षक एके गांगुली, महिला अध्यक्ष पूर्ति धर, महिला महासचिव कल्पना डे, उपाध्यक्ष अचिंत कुमार बोस , मनीष साहा चुमकी चटर्जी अनामिका चक्रवर्ती प्रोनोति बारिक भाग्यलक्ष्मी रूपाली चक्रवर्ती बनलता विश्वास, सीमा बोस, शिखा भट्टाचार्य जी, ममता दत्ता, शिखा विश्वास, मोनिका विश्वास, रीना गोस्वामी तपन कुमार गोस्वामी विजय कुमार दास, गोकुल, निलेश , श्वेता डे, श्रेया डे, सौमिक डे , सुजल डे , श्यामोली डे गोविंद चंद्र डे, सहित समाज के स्वजाति बंधु उपस्थित थे।

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