


सनातनी परंपराओं में अधिकांश व्रत और त्योहार पूर्णिमा अथवा अमावस्या तिथि पर ही मनाये जाते है। पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को विभिन्न अनुष्ठानों के लिए शुभकारी माना जाता है। मान्यता है कि पौष मास के अमावस्या पर दान पुण्य करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। कहते हैं कि इस तिथि पर सुपात्र को दिया गया दान व्यक्ति को यश, सफलता और सौभाग्य प्रदान करता है। पौष मास की अमावस्या पर अन्न, चावल दूध, घी, कंबल, धन आदि दान करने की परंपरा है।


इसी परंपरा का पालन करते हुए पौष मास की अमावस्या को छत्तीसगढ़ बंगाली समाज द्वारा निर्धन और जरूरतमंदों के बीच भोजन वितरण किया गया। पितरों को संतुष्ट करने और पितृ दोष से मुक्ति पाने की इच्छा के साथ दरिद्र नारायण के बीच जाकर उन्हें भोजन कराया गया। इस अवसर पर समाज के महासचिव पल्लव धर, पूर्ति धर, नारायण चंद्र डे, कल्पना डे, सुरेश, समीर चंद्र राय, उज्जवला चटर्जी, राजू मुखर्जी और अन्य लोग उपस्थित थे।

