जिनकी मौत का रहस्य आज भी है कायम, उस पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि पर कांग्रेसियों ने दी श्रद्धांजलि


ज़िला कांग्रेस कमेटी द्वारा 11 जनवरी को लाल बहादुर शास्त्री स्कूल के प्रांगण में पूर्व प्रधानमंत्री स्व लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्यतिथि मनाई गई और उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गई ।
संयोजक ज़फ़र अली,पूर्व विधायक चन्द्र प्रकाश बाजपेयी ने कहा कि स्व लाल बहादुर शास्त्री जी का जीवन अभाव और संघर्ष पूर्ण रहा , बाल्यकाल से ही मेघावी रहे,एम ए संस्कृत होने के कारण शास्त्री की उपाधि मिली।
आज़ादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई, जब गांधी जी ने 1942 मे भारत छोड़ो आंदोलन में सभी बड़े नेता गिरफ्तार हो गए तो आसफ अली के साथ मिलकर शास्त्री जी आंदोलन का नेतृत्व किया और गांधी जी के नारे डू और डाई को करो या मारो में बदल कर आंदोलन को एक नई दिशा दी,
आज़ादी के बाद उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रहते हुए पहली बार महिलाओ को कंडक्टर में नियुक्ति दी, भीड़ को नियंत्रित करने के लिए वाटर कैनन का प्रयोग करने की अनुमति दी ,
स्व शास्त्री एक प्रयोगधर्मी राज नेता थे,उन्होंने देश के अंदर और बॉर्डर में सेवा देने वाले किसान और सैनिको के लिए जय जवान -जय किसान का नारा दिए,
स्व शास्त्री कदकाठी से बहुत मजबूत नही थे पर उनकी इच्छाशक्ति हिमालय की तरह दृढ़ ,अविचिलित थी, उन्होंने 1965 के भारत – पाकिस्तान युद्ध मे पाकिस्तान को पराजित कर लाहौर तक भारतीय सेना ने कब्जा कर ली थी, पश्चात ताशकंद समझौता के बाद 11 जनवरी को उनका निधन हो गया। ।
कार्यक्रम में ज़फ़र अली, चन्द्र प्रकाश बाजपेयी,माधव ओत्तालवार, त्रिभुवन कश्यप, विनोद साहू, वीरेंद्र सारथी, चंद्रहास केशरवानी,सुभाष ठाकुर,प्रियंका यादव,विजय दुबे,राजेश शर्मा,दिनेश सूर्यवंशी, दीपक रायचेलवार, हेमन्त दृघस्कर,
गोवर्धन श्रीवास्तव,श्री प्रकाश वर्मा,मनोज शर्मा,सत्येंद्र तिवारी,मनोज शुक्ला,हेरि डेनिएल,राज कुमार,यादव, मनोज सिंह आदि उपस्थित थे।

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