
कैलाश यादव

कहते हैं बिलासपुर और आसपास के पूरे क्षेत्र पर मां भगवती दुर्गा की विशेष कृपा है। यहां रतनपुर महामाया मंदिर के अलावा और भी कई शक्ति केंद्र है, जहां इस नवरात्रि पर उल्लास पूर्वक आयोजन करते हुए विधि विधान के साथ देवी की पूजा अर्चना की जा रही है। एक तरफ सार्वजनिक दुर्गा उत्सव है तो वही अंचल के सभी दुर्गा मंदिरों में भी विशेष अनुष्ठान संपन्न हो रहे हैं। इन्हीं में से एक बिलासपुर के प्राचीनतम मंदिरों में से एक गोल बाजार के पास स्थित श्री हरदेव लाल मंदिर में देवी भगवती की विशेष पूजा आराधना की जा रही है। यहां नियमित रूप से पूजा अर्चना, आरती के साथ मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित किए गए हैं ।

100 साल से भी अधिक पुरानी परंपरा अनुसार यहां महा अष्टमी की संध्या पर देवी भगवती की महा आरती की जाती है ,जिसमें भक्त थाल सजाकर देवी की आराधना करते हैं। इस परंपरा में पहली थाल क्षेत्र के प्रतिष्ठित शुक्ला परिवार की होती है । यह परंपरा बद्री प्रसाद शुक्ला के दौर से आरंभ हुई। इसके बाद उनके पुत्र स्वर्गीय ज्योति प्रसाद शुक्ला ने बरसों बरस तक इस परंपरा का पालन किया और उनके स्वर्गवास के बाद अब उनके पुत्र शरद शुक्ला इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं ।

रविवार शाम महा अष्टमी की तिथि पर हरदेवलाल मंदिर में स्थापित मां भगवती देवी की महा आरती की गई। जिसमें शरद शुक्ला , उनके पुत्र सौरभ एवं शुभम शुक्ला के अलावा बड़ी संख्या में क्षेत्र के श्रद्धालु शामिल हुए।

मान्यता है कि यहां देवी भगवती सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करती है। विवाह योग्य युवक युवतियों का विवाह देवी की कृपा से होती है तो वही संतान की कामना लेकर आने वाले दंपति कभी यहां से निराश नहीं लौटते। धन संपदा, सुख संपत्ति प्रदान करने वाली देवी भगवती की यहां प्राचीन मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर के जीर्णोद्धार के बाद उनकी उसी प्राचीन परंपरा के साथ पूजा अर्चना की जा रही है । इस मंदिर में देवी भगवती के अलावा भी शिवलिंग, हनुमान जी, शनिदेव , बालाजी, संतोषी माता, शीतला माता और भी कई देवी देवताओं के विग्रह स्थापित है । क्षेत्र में देवतला के लिए इसी मंदिर में लोग पहुंचते हैं।

