टिकट न मिलने पर छलका राजेंद्र शुक्ला का दर्द, बिल्हा कांग्रेस प्रत्याशी सियाराम कौशिक को दलबदलू बता कर  उनके खिलाफ खोला मोर्चा, कांग्रेस की बढ़ाई मुश्किले, इधर भाजपा नेत्री चांदनी भारद्वाज ने थामा जोगी कांग्रेस का दामन

कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में प्रत्याशियों के नाम की घोषणा के साथ ही बगावती सुर भी सामने आने लगे हैं । पिछले काफी सालों से मस्तूरी विधानसभा में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही भाजपा नेत्री चांदनी भारद्वाज ने टिकट न मिलने की नाराजगी में आखिरकार छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस का दामन थाम लिया। जोगी कांग्रेस ने उन्हें बतौर प्रत्याशी मस्तूरी विधानसभा से उतारा है। गौरतलब है कि चांदनी भारद्वाज की मां कमला पाटले जांजगीर चांपा लोकसभा सीट से भाजपा सांसद रह चुकी है। चांदनी भारद्वाज स्वयं मस्तूरी क्षेत्र से जनपद अध्यक्ष और जिला पंचायत सदस्य रह चुकी है

इधर बिल्हा विधानसभा से भी जोगी कांग्रेस से आए सियाराम कौशिक को टिकट मिलने से नाराज राजेंद्र शुक्ला का दर्द छलक कर सामने आया है। खुद को कांग्रेस का निष्ठावान कार्यकर्ता बताते हुए राजेन्द्र शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस के लिए तो काम करूंगा लेकिन उस व्यक्ति के लिए काम करना संभव नहीं होगा जो हारने के बाद पार्टी बदल लेता है। अपनी हार के बाद जोगी कांग्रेस का दामन थामने वाले सियाराम कौशिक बदले हालात में वापस कांग्रेस के साथ हो लिए है और उन्हें इस बार पार्टी ने उम्मीदवार भी बनाया है, लेकिन उन्हें अपने ही क्षेत्र में अपने ही पार्टी के विरोध का सामना करना पड़ सकता है। राजेन्द्र शुक्ला ने कहा कि मैं पार्टी हाई कमान से मांग कर रहा हूँ कि सियाराम कौशिक को प्रत्याशी बनाने के फैसले पर पुनर्विचार किया जाए और बिल्हा से किसी निष्ठावान कार्यकर्ता को अवसर दिया जाए । उन्होंने खुद को पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्ता बताते हुए कहा कि वे चाहते तो अलग-अलग विधानसभाओं से दावेदारी कर सकते थे लेकिन उन्होंने पार्टी पर भरोसा कर ऐसा नहीं किया।

बिल्हा विधानसभा क्षेत्र में राजेन्द्र शुक्ला की अच्छी पकड़ है और उनके विरोध का नुकसान कांग्रेस और सियाराम कौशिक दोनों हो सकता है। जाहिर तौर पर इसका सीधा लाभ भाजपा के धरमलाल कौशिक को मिलता दिख रहा है। बिल्हा विधानसभा में ही आम आदमी पार्टी भी अपनी अच्छी खासी उपस्थिति दर्ज कर रही है। जिससे यहां मुकाबले लगातार रोचक होता जा रहा है। उस पर अब राजेन्द्र शुक्ला के विरोध ने कांग्रेस के लिए जरूर मुश्किले बढ़ा दी है।

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