
कैलाश यादव


बिलासपुर में समाज के दो जिम्मेदार वर्ग चिकित्सको और अधिवक्ताओ के बीच हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार को मोबाइल मेडिकल यूनिट की टीम मंगला बस्ती जॉय रेजिडेंसी के सामने क्लिनिक लगाकर मरीजों का इलाज कर रही थी। डॉ अंशुल भौमिक के अनुसार उन्होंने अपनी स्कूटी सड़क किनारे साइड में पार्क किया था। जिसे वहीं रहने वाले वकील रजनीश सिंह बघेल ने कार निकालने के दौरान हटाने को कहा। इससे पहले की वह अपनी स्कूटी हटाते रजनीश सिंह बघेल ने कार से निकलकर अचानक डंडे से डॉक्टर अंशुल भौमिक की पिटाई शुरू कर दी। बाद में उनकी पत्नी किरण बघेल ने भी नर्स के साथ मारपीट की। इसकी शिकायत करने चिकित्सक दल और नगर निगम के अधिकारी सिविल लाइन थाने पहुंचे तो पीछे-पीछे अधिवक्ता संघ के साथ रजनीश सिंह बघेल और उनकी पत्नी किरण बघेल भी पहुंच गये, जिन्होंने आरोप लगाया कि चिकित्सक और उनके साथियों ने उनके साथ मारपीट की है।

दोनों ही पक्षों का अपना प्रभाव है। इसके चलते सिविल लाइन पुलिस को दोनों ही पक्षों की एफआईआर दर्ज करनी पड़ी । गुरुवार को इस मामले में जहां जिला अधिवक्ता संघ ने दखल दिया था तो वहीं अब इस मामले में आईएमए ने पुलिस कार्यवाही को संदेहास्पद बताया है। आईएमएफ का कहना है कि डॉक्टर अंशुल भौमिक और उनकी टीम सरकारी काम कर रहे थे। इस बीच उनके साथ गाली क्लोज और मारपीट की गई है, लेकिन सिविल लाइन पुलिस ने शासकीय कार्य में बाधा से संबंधित धारा नहीं लगाई है ।इसके विरोध में चिकित्सक और नगर निगम के कर्मचारियों ने एसपी कार्यालय पहुंचकर अपना विरोध दर्ज कराया। घायल डॉक्टर और नर्स व्हीलचेयर में बैठकर पहुंचे, जिन्होंने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही और मामले में शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाने की धारा जोड़ने की बात कही, तो वही जिलाअधिवक्ता संघ के पदाधिकारी भी अधिवक्ता रजनीश बघेल के समर्थन में एसपी को ज्ञापन सौंपने पहुंचे और दूसरे पक्ष के खिलाफ कार्यवाही की मांग की। पुलिस पहले ही दोनों पक्षों के खिलाफ मामला दर्ज कर चुकी है । इस मामले में अब जिला अधिवक्ता संघ और आईएमए के भी उतरने से पुलिस के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही है, क्योंकि किसी एक पक्ष की मांग मानने पर दूसरा पक्ष उन पर दबाव बनाएगा क्योंकि दोनों ही संगठन ताकतवर है।

