
कैलाश यादव

छत्तीसगढ़ के प्राय प्राय सभी पर्वों का संबंध पूर्णिमा अथवा अमावस्या तिथि से है। भादो मास के अमावस तिथि पर छत्तीसगढ़ी लोक पर्व पोला मनाया जाता है, जिसे स्थानीय भाषा में पोरा भी कहते हैं।

छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है और कृषि कार्यों में आरम्भ से ही किसानों के सबसे बड़े सहयोगी हल- बैल रहे हैं। आज भले ही समय के साथ खेती-बाड़ी में बैलों की भूमिका कम होती जा रही है और बैलों का स्थान ट्रैक्टर ने ले लिया है, लेकिन आज भी लोक परंपराओं में खेती किसानी और अन्य कार्यों में सहायक नंदी बैलों की पूजा अर्चना की जाती है। सामान्य तौर पर इस समय तक खेतों में निंदाई कोड़ाई का कार्य समाप्त हो चुका होता है। इस दिन किसान अपने बैलों को स्नान करा कर उनकी पूजा अर्चना करते हैं। उनका साज श्रृंगारकिया जाता है और उन्हें अच्छा भोजन कराया जाता है। तो वही प्रतीक स्वरूप में मिट्टी और लकड़ी के बैलों की पूजा अर्चना भी इस दिन की जाती है। धीरे-धीरे कृषि कार्यो में बैलों की उपयोगिता घटने से अब इस पर्व की चमक फीकी पड़ रही है।


बिलासपुर में पारंपरिक रूप से छत्तीसगढ़ी लोक पर्व पोला पर बैल दौड़ का आयोजन किया जाता रहा है। खासकर पृथक राज्य बनने के बाद से आदर्श युवा मंच द्वारा विगत 23 वर्षो से बैल दौड़ और साज सज्जा प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है, जिससे नई पीढ़ी अपनी परंपराओं से जुड़ी रह सके।

लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में होने वाली इस प्रतियोगिता में बारिश के बाद भी इस वर्ष आठ बैल जोड़ी पहुंचे। किसान और बैलों के मालिक अपने-अपने बैलों को विशेष ढंग से सजाकर यहां सम्मिलित हुए। श्री चंद मनुजा की स्मृति में होने वाले बैल दौड़ में आठ बैल जोड़ियों ने इस वर्ष हिस्सा लिया। इस प्रतियोगिता में लिंगियाडीह के परदेसी मरकाम के बैल प्रथम स्थान पर रहे, तो वही मोपका के नर्मदा साहू की बैल जोड़ी दूसरे स्थान पर रही ।माता चौरा सीपत चौक के अशोक साहू की बैल जोड़ी तीसरे स्थान पर रही। इनके अलावा माता चौरा के लखन कौशिक, चिंगराजपारा के सुरेश साहू, बहतराई के घुरवा साहू ,गोल बाजार के रोहित कौशिक ने भी इस प्रतियोगिता में भाग लिया।

बैल जोड़ी दौड़ और साज सज्जा प्रतियोगिता के विजेताओं को महापौर रामशरण यादव,छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव, अरुण सिंह और अन्य अतिथियों द्वारा पुरस्कार प्रदान किया गया। बारिश के बावजूद बैल जोड़ी दौड़ प्रतियोगिता को देखने बड़ी संख्या में दर्शक पहुंचे थे। आदर्श युवा मंच के महेश दुबे टाटा ने बताया कि छत्तीसगढ़ की लोक परंपराओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए हर वर्ष इस तरह का आयोजन किया जाता है और इसके प्रति आम आदमी का गहरा जुड़ाव है।
