श्रावण मास में श्री पीताम्बरा पीठ सुभाष चौक सरकंडा स्थित त्रिदेव मंदिर में सावन महोत्सव पर श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारूद्राभिषेकात्मक महायज्ञ 4 जुलाई से लेकर 30अगस्त तक नमक चमक विधि से प्रातः8:30 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक किया जा रहा है।30अगस्त को 2 महारुद्र पाठ पूर्ण होने के पश्चात पूर्णाहुति की जाएगी।सावन के आखिरी सोमवार एवं प्रदोष व्रत पूजा पूर्ण भक्तिभाव एवं श्रद्धा पूर्वक किया गया।इस अवसर पर श्री परवेश तिवारी सिविल लाइन थाना,श्री संजय अवस्थी,श्रीमती पम्मी अवस्थी,हर्ष अवस्थी सरकंडा,श्री श्यामलाल अग्रवाल,श्रीमती सावित्री देवी अग्रवाल,श्री राजीव अग्रवाल,प्रीति अग्रवाल कटघोरा आदि भक्तजन उपस्थित रहे।
पीताम्बरा पीठ में 18 जून से प्रारंभ हुए पीताम्बरा हवनात्मक महायज्ञ 27 नवंबर 2023 तक निरन्तर चलेगा।जिसमें 36 लाख आहुतियाँ दी जाएगी।प्रतिदिन रात्रि 8:30 से रात्रि 1:30बजे तक हवनात्मक महायज्ञ तत्पश्चात रात्रि1:30बजे ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का महाआरती किया जा रहा है।
पीताम्बरा पीठाधीश्वर आचार्य दिनेश जी महाराज ने बताया कि वैदिक पंचांग के अनुसार श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से शुरू हो जाएगी। लेकिन इसी के साथ भद्रा भी लग जाएगी। भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है। भद्रा का समापन 30 अगस्त को रात के 9 बजकर 01 मिनट पर होगा। शुभ मुहूर्त शास्त्र के अनुसार रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि और अपराह्न काल यानी दोपहर के समय भद्रा रहित काल में मनाना शुभ होता है। लेकिन इस वर्ष 30 अगस्त को पूरे दिन भद्रा रहेगी। भद्रा में राखी बांधना अशुभ होता है। ऐसे में 30 अगस्त 2023 को रात 09 बजकर 03 मिनट के बाद राखी बांधी जा सकती है। वहीं 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 7 मिनट से पहले राखी बांध सकते हैं।
भद्रा कौन है—
भद्रा भगवान सूर्य नारायण और छाया की कन्या व भगवान शनि की बहन है।भद्रा गर्दभ के मुख और लंबी पूंछ और 3 पैरयुक्त उत्पन्न हुई। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भद्रा का स्वभाव भी शनि की तरह है। दैनिक पंचांग में भद्रा का विशेष ध्यान रखा जाता है। माना जाता है कि ब्रह्मा जी ने भद्रा को पंचांग में विशेष स्थान प्रदान किया है। जन्म लेते ही भद्रा यज्ञों में विघ्न-बाधा पहुंचाने लगी और मंगल कार्यों में उपद्रव करने लगी तथा सारे जगत को पीड़ा पहुंचाने लगी। उसके स्वभाव को देखकर सूर्यदेव को उसके विवाह की चिंता होने लगी और वे सोचने लगे कि इसका विवाह कैसे होगा? सभी ने सूर्यदेव के विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया। सूर्यदेव ने ब्रह्माजी से उचित परामर्श मांगा। ब्रह्माजी ने तब कहा कि- ‘भद्रे! बव, बालव, कौलव आदि करणों के अंत में तुम निवास करो तथा जो व्यक्ति तुम्हारे समय में गृह प्रवेश तथा अन्य मांगलिक कार्य करे, तो तुम उन्हीं में विघ्न डालो। जो तुम्हारा आदर न करे, उनका कार्य तुम बिगाड़ देना।’ इस प्रकार उपदेश देकर ब्रह्माजी अपने लोक चले गए। तब से भद्रा अपने समय में ही देव-दानव-मानव समस्त प्राणियों को कष्ट देती हुई घूमने लगी।
भद्रा काल में रक्षाबंधन बांधने के दुष्परिणाम—-
रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल के दौरान कोई भी शुभ कार्य या राखी नहीं बांधनी चाहिए। लंकापति रावण की बहन ने भद्राकाल में ही उनकी कलाई पर राखी बांधी थी। जिसके एक साल के अंदर ही रावण का विनाश हो गया था।
भद्रा काल —
रक्षाबंधन भद्रा पूंछ- 30 अगस्त 2023 की शाम 05:30 बजे
रक्षाबंधन भद्रा मुख- 30 अगस्त 2023 की शाम 06:31 बजे से रात 08:11 बजे तक
रक्षाबंधन समय—
रक्षाबंधन 2023 की पूर्णिमा तिथि –
हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरूआत 30 अगस्त 2023 को सुबह 10 बजकर 58 मिनट होगी। जबकि पूर्णिमा तिथि का समापन 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 5 मिनट पर होगा।
रक्षाबंधन का महत्व –
रक्षा बंधन का तात्पर्य बांधने वाले एक ऐसे धागे से है, जिसमें बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर जीवन के हर संघर्ष तथा मोर्चे पर उनके सफल होने तथा निरन्तर प्रगति पथ पर अग्रसर रहने की ईश्वर से प्रार्थना करती हैं।रक्षाबंधन पर्व को भाई-बहन के प्रेम और सदभाव के पर्व के रूप में मनाया जाता है।
राशि के अनुसार भाई की कलाई पर बांधें किस रंग की राशि—
मेष-लाल रंग की राखी बांधना शुभ होगा. इससे भाई-बहन के रिश्ते में प्यार बढ़ता है. इसके अलावा आप गुलाबी और पीले रंग की राखी भी बांध सकती हैं।
वृष-सफेद या आसमानी रंग की राखी बांधना शुभ होता है।
मिथुन-रक्षाबंधन पर बहनें हरे रंग की राखी बांधे।इसके अलावा आप नीले और गुलाबी रंग की राखी भी बांध सकती हैं।
कर्क- सफेद या हल्के पीले रंग की राखी बांध सकते हैं. इससे भाई के जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
सिंह- नारंगी रंग की राखी बांधना शुभ बताया गया है।इससे भाई-बहन के रिश्ते में मजबूती आती है।
कन्या- आप उन्हें पिस्ता ग्रीन या गुलाबी रंग की राखी बांध सकते हैं।
तुला-हल्के पीले, सफेद और नीले रंग की चमकीली राखी बांध सकती हैं।
वृश्चिक- मंगल का संबंध लाल रंग से होता है, इसलिए रक्षाबंधन पर यदि बहन अपने भाइयों को लाल रंग की राखी बांधती है तो यह अत्यंत शुभ माना जाता है।
धनु -इस राशि वाले भाइयों को पीले रंग की राखी बांधना सबसे शुभ माना गया है।
मकर- नीला या मल्टीकलर की राखी बांध सकते हैं।
कुंभ-नीला, काला या गहरा रंग शुभदायी होता है, इसलिए रक्षाबंधन पर इसी रंगों की राखी बांधें।इससे शनि देव की कृपा प्राप्त होती है और कार्यक्षेत्र में तरक्की मिलती है।
मीन- इन्हें पीले रंग की राखी बांधें,इससे हर तरह के रोगों से निजात मिलता है। भ