केंद्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ की 12 जनजातियों को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में किया गया शामिल, जिला अध्यक्ष कुमावत ने कहा प्रधानमंत्री के निर्णय से प्रदेश के दस लाख आदिवासियों की बदल जायेगी तकदीर

बिलासपुर। केंद्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ की 12 जनजातियों को अनूसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल किए जाने पर भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष रामदेव कुमावत ने एक विज्ञप्ति जारी कर इस निर्णय की अत्यंत ही सराहना की है, उन्होंने कहा कि आज छत्तीसगढ़ में रह रहे उन दस लाख आदिवासियों के लिए एक बहुत ही बड़ी सौगात है जो दशकों से पूर्ववर्ती सरकारो की उपेक्षा झेल रहे थे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने अति महत्वपूर्ण मानवीय मूल्यों पर आधारित इस अध्यादेश को संसद के शीतकालीन सत्र में पारित कराने में सफल रही अब सुदूर वन्नांचल क्षेत्रों में निवास करने वाली संसाधन विहीन जनजाति समाज अपने अधिकारों का प्रयोग कर विकास के मुख्यधारा में शामिल होंगे। श्री कुमावत ने पूर्ववर्ती सरकारों पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह विडंबना है कि मात्र लिपिगत त्रुटि के कारण केवल मात्रागत भूल की वजह से प्रदेश की एक बहुत बड़ी आबादी वर्षो से अपने अधिकारों से वंचित रही किसी सरकार ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया आदिवासियों को सिर्फ अपना वोट बैंक समझ उनकी भावनाओं से खेलते रहे, परंतु सबका साथ सबका विश्वाश पर यकीन करने वाले हमारे नेता प्रधानमंत्री श्री मोदी आज उन वर्गो का भी विश्वाश जितने में सफल हुए अब इन आदिवासी परिवारों को आरक्षण सहित शिक्षा स्वास्थ्य नौकरी एवं विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। श्री कुमावत ने बताया कि नए अध्यादेश में भारिया भूमिया के समानार्थी भूईया, भूईयाँ, भूयां, धनवार के समानार्थी धनुहार धनुवार, नगेसिया, नागासिया के समानार्थी किसान, सावर, सवरा के समानार्थी सौंरा, संवरा, धांगड़ के साथ प्रतिस्थापित करते हुए सुधार, बिंझिया, कोडाकू के साथ साथ कोड़ाकू, कोंध के साथ-साथ कोंद, भरिया, भारिया, पंडो, पण्डो, पन्डो को जनजाति वर्ग में शामिल किया गया है।

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