छठ घाट के पास नदी तट पर रीपा योजना के तहत स्मार्ट सिटी बना रहा है शेड, पार्किंग की जगह खत्म हो जाने और पर्यावरण को नुकसान पहुंचने की बात कहते हुए पाटलिपुत्र संस्कृति विकास मंच ने इस स्थान पर योजना का किया विरोध, योजना को पास ही कहीं और शिफ्ट करने की करी मांग

नवल वर्मा

बिलासपुर के तोरवा क्षेत्र में छठ घाट की पार्किंग वाली जगह पर रीपा प्रोजेक्ट के तहत निर्माण कार्य का आरंभ बुधवार को किया गया ,जिसका विरोध पाटलिपुत्र संस्कृति विकास मंच और अन्य पर्यावरण वादी संगठनों ने किया है। महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क छत्तीसगढ़ योजना के तहत यहां 5.5 एकड़ क्षेत्रफल में लघु एवं कुटीर उद्योग के लिए शेड, पार्किंग, रोड, नाली आदि का निर्माण किया जाएगा, जहां 750 महिलाओं को विभिन्न रोजगार मूलक प्रशिक्षण दिए जाएंगे ताकि उन्हें स्वावलंबी बनाया जा सके। इसके लिए तोरवा पुल के नीचे छठ घाट की एक ओर की जमीन चिन्हित की गई है। इस जमीन का इस्तेमाल अब तक छठ पूजा के अवसर पर पार्किंग के लिए किया जाता था। यहीं पर पाटलिपुत्र संस्कृति विकास मंच द्वारा वृक्षारोपण भी किया गया है। साथ ही 27 लाख रुपए खर्च कर जमीन का समतलीकरण किया गया है।


जैसे ही पाटलिपुत्र संस्कृति विकास मंच के पदाधिकारियों को जानकारी मिली कि उनके पार्किंग स्थल पर करीब साढ़े 5 एकड़ क्षेत्रफल में शेड का निर्माण किया जा रहा है तो वे मौके पर पहुंच गए और इस निर्माण का विरोध करने लगे। पाटलिपुत्र संस्कृति विकास मंच के अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र दास और अन्य पदाधिकारियों ने बताया कि यह जमीन बिल्कुल नदी तट से लगी हुई ग्रीन बेल्ट की ज़मीन है , जबकि नियमानुसार ग्रीन बेल्ट की जमीन पर 300 मीटर तक कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता। पूर्व में भी समिति द्वारा इस जगह पर सुलभ शौचालय निर्माण का प्रयास किया गया था लेकिन जनउपयोगी यह प्रोजेक्ट इसी नियम के तहत खारिज कर दिया गया और कलेक्टर द्वारा यहां बाकायदा बोर्ड लगाकर यह आदेश दिया गया कि इस स्थान पर कोई भी निर्माण कार्य गैर कानूनी है। इसी क्षेत्र में छोटे-बड़े झाड़ी पेड़ के जंगल भी हैं। शेड निर्माण के लिए बड़ी संख्या में पेड़ों को भी काटना पड़ेगा। जिसका भी पर्यावरण हितैषी विरोध कर रहे हैं ।

विरोध दर्ज कराने वाले लोगों ने विकल्प सुझाते हुए कहा कि नदी तट की भूमि का इस्तेमाल छठ पूजा और अन्य अवसर पर शहर के लोग करते हैं , इसलिए इस जमीन के स्थान पर पास में ही उपलब्ध सरकारी रिक्त भूमि पर इस योजना के तहत निर्माण कराया जाए। बुधवार को निर्माण स्थल पर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अधिकारी, नगर निगम, राजस्व विभाग और गृह निर्माण मंडल के भी अधिकारी पहुंचे थे। स्मार्ट सिटी और गृह निर्माण मंडल द्वारा निर्माण कार्य किया जाना है। बुधवार को तमाम विरोध के बावजूद यहां बोर खुदाई का कार्य शुरू कर दिया गया।

इस दौरान प्रोजेक्ट के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर एस पी साहू ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रीपा प्रोजेक्ट के तहत 1 जुलाई को इस योजना का उद्घाटन कर चुके हैं और उन्हें ऊपर से कार्य आरंभ करने का आदेश मिल चुका है, इसलिए उन्होंने तमाम विरोध को दरकिनार करते हुए भी बुधवार को निर्माण कार्य आरंभ कर दिया, जबकि पाटलिपुत्र संस्कृति विकास मंच के सदस्य एक दिन का मोहलत मांगते रहे, जिनका कहना था कि वे अपनी समस्या से मुख्यमंत्री को अवगत करा कर कोई रास्ता ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अधिकारियों ने उनकी एक न सुनी और पुलिस की मौजूदगी में बोर खुदाई का कार्य आरंभ कर दिया, जिसका पाटलिपुत्र संस्कृति विकास मंच और पर्यावरण हितैषी संगठनों ने शांतिपूर्ण विरोध किया।

इनका कहना है कि नदी में उफान के वक्त यह स्थान डूबान क्षेत्र में तब्दील हो जाता है। नदी से मात्र 50 फीट की दूरी पर ही नियम विरुद्ध निर्माण किया जा रहा है। इससे सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियां प्रभावित तो होगी ही, साथ ही पर्यावरण को भी बड़ा नुकसान पहुंचेगा, जबकि आसपास विकल्प मौजूद है, लेकिन प्रोजेक्ट के अधिकारी अपनी जिद पर अड़े हुए हैं । पाटलिपुत्र संस्कृति विकास मंच ने इस मामले में कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगाने की बात कही है, ताकि पर्यावरण और धार्मिक गतिविधियों के स्थान को बचाया जा सके। उन्होंने शहरवासियों से भी आग्रह किया है कि वे भी इस विरोध का हिस्सा बने क्योंकि इस स्थान का उपयोग आम लोगों द्वारा ही किया जाता है और यह जन कल्याण का विषय है।

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