


आज सावन का पहला सोमवार मनाया जा रहा है। पवित्र श्रावण मास के पहले सोमवार में शिव भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा है। विगत कुछ वर्षों में धर्म के प्रति लोगों की आस्था बढ़ी है। पहले की अपेक्षा अब अधिक लोग मंदिरों में पहुंचकर पूजा, आराधना, उपासना करने लगे हैं। यही कारण है कि सावन महीने को लेकर भी लोगों में पहले से अधिक उत्साह देखा जा रहा है। पवित्र सावन माह में शिव आराधना करने से सभी मनोकामना की पूर्ति होती है ।

क्या है भगवान शिव का सावन से संबंध
देवशयनी एकादशी के बाद चतुर्मास में संसार के पालन कर्ता भगवान विष्णु निंद्रा में चले जाते हैं। उनके शयन काल में संसार का संचालन भगवान शिव ही करते हैं, इसलिए इस 4 महीने शिव और शिव परिवार की पूजा अर्चना की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार सावन मास में ही समुद्र मंथन हुआ था, जिससे निकले हलाहल विष को भगवान शिव ने ग्रहण कर लिया था। इससे उनके शरीर का ताप बहुत अधिक बढ़ गया। तब इंद्रदेव ने वर्षा कर उनके शरीर के ताप को नियंत्रित किया। यही कारण है कि भगवान शिव को सावन का मास और जलाभिषेक इतना प्रिय है। एक और कथा के अनुसार सावन मास में ही देवी पार्वती ने शिव आराधना कर उनको पति रूप में प्राप्त किया था, इसलिए भगवान शिव को यह माह अत्यंत प्रिय है। यही कारण है कि मनचाहा जीवनसाथी पाने की कामना के साथ भी सावन मास में शिवभक्त उनकी आराधना करते हैं।

शिव भक्त पूरे सावन महीने भगवान शिव की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर उन्हें प्रसन्न करते हैं । जो पूरे माह नहीं कर पाते, वे सावन के सोमवार को उनका जलाभिषेक अवश्य करते हैं। वैसे भोले भंडारी तो मात्र जलाभिषेक और बेलपत्र से ही प्रसन्न होकर भक्तों की सभी इच्छा पूरी करने के लिए जाने जाते हैं । इस वर्ष शिव भक्तों के लिए शिव आराधना का अवसर अधिक है। अधिमास होने के कारण इस बार सावन 2 महीने हैं और इस बार 8 सावन सोमवार होंगे, जिसकी शुरुआत 10 जुलाई को हुई। इसके अतिरिक्त 17 जुलाई, 24 जुलाई, 31 जुलाई, 7 अगस्त, 14 अगस्त , 21 अगस्त और 28 अगस्त को भी सावन माह का सोमवार मनाया जाएगा।

भगवान भोलेनाथ की आराधना के इस विशेष सावन महीने के प्रथम सोमवार को सुबह से ही शिव भक्तों की भीड़ सभी शिव मंदिरों में नजर आने लगी। भक्तों ने जल, घी, दूध, दही, शहद, शक्कर, गन्ने का रस, पंचामृत, बेलपत्र, धतूरा, नारियल आदि अर्पित कर उनकी पूजा अर्चना की। मंदिरों में ओम नमः शिवाय, हर हर महादेव और बोल बम के जयघोष गूंजते रहे। कई स्थानों पर भंडारा और प्रसाद वितरण भी किया गया। शिवभक्त पवित्र नदियों से कांवड़ में जल लेकर शिव मंदिर पहुंचे, जहां भोले भंडारी का जलाभिषेक किया गया। अंचल के सभी प्रसिद्ध शिव मंदिर के साथ अन्य शिव मंदिरों में भी सुबह से ही भक्तों की भीड़ नजर आ रही है। घंटे घड़ियाल की ध्वनि सुबह से ही सुनाई पड़ रही है। मंदिरों में शिव जी के भजन गूंज रहे हैं। आने वाले 59 दिनों तक इसी भांति भगवान भोले भंडारी की पूजा अर्चना कर शिव भक्त उन्हें प्रसन्न करेंगे।

