


पूरे 8 दिनों तक मौसी मां के घर गुंडीचा मंदिर में आतिथ्य ग्रहण करने के बाद भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के साथ श्री धाम लौट आए हैं। पौराणिक कथा अनुसार भगवान जगन्नाथ ने अपने एक भक्त को रोग मुक्त करते हुए स्वयं 15 दिन बीमार होने का वर दिया था। इसीलिए हर वर्ष वे स्नान पूर्णिमा पर 108 कलश के जल से स्नान करने के बाद 15 दिन के लिए बीमार पड़ जाते हैं। नेत्र उत्सव के साथ भगवान स्वस्थ होते हैं, जिसके बाद वह अपनी मौसी मां के घर गुंडीचा मंदिर रथ यात्रा कर पहुंचते हैं ।


इस वर्ष 20 जून को भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा रथ यात्रा कर गुंडीचा मंदिर पहुंचे थे । जहां पूरे 8 दिनों तक छप्पन भोग के साथ उनका सेवा सत्कार किया गया। बुधवार को भगवान अपने ने श्री मंदिर के लिए वापसी हेतु बहूडा यात्रा आरंभ की। विविध धार्मिक अनुष्ठान संपन्न करने के बाद एक बार फिर भगवान का रथ तैयार किया गया। बुधवार को वापसी यात्रा के लिए छेरा पहरा की रस्म अशोक कुमार नायक ने निभाई, जिसके बाद रथ पर महाप्रभु जगन्नाथ, बलदाऊ और देवी सुभद्रा को सवार करा कर एक बार फिर भक्त जय जगन्नाथ के उद्घोष के साथ रथ का रास्ता खींचते हुए उसी मार्ग से वापसी यात्रा पर निकल पड़े, जिस मार्ग से 20 जून को भगवान गुंडिचा मंदिर पहुंचे थे । बहुड़ा यात्रा उड़िया स्कूल स्थित गुंडिचा मंदिर से निकलकर तोरवा थाना, गांधी चौक , तारबाहर, रेलवे स्टेशन, तितली चौक होते हुए वापस मंदिर पहुंची।

विवाह के बाद अपनी पत्नी लक्ष्मी को अकेला छोड़ कर महाप्रभु जिस तरह भाई बहन के साथ यात्रा पर निकल पड़े थे उससे देवी लक्ष्मी रूठी हुई थी , जिन्होंने महाप्रभु को मंदिर प्रवेश करने से रोका ।मंदिर के पुजारी और पंडों ने दोनों पक्ष की भूमिका निभाई। काफी देर विवाद चलने के बाद आखिरकार भगवान जगन्नाथ ने स्वादिष्ट रसगुल्ले खिलाकर देवी लक्ष्मी को मना लिया। इसके बाद एक बार फिर से श्री मंदिर में तीनों विग्रह को प्रवेश दिया गया। पूजा अर्चना के बाद भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ, देवी सुभद्रा का दर्शन श्रद्धालुओं ने किया। अब इसी मंदिर में भगवान पूरे वर्ष पर श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे।

बुधवार को एक बार फिर बहुड़ा यात्रा में शहर के श्रद्धालुओं का उत्साह दिखा। नर- नारी, युवा,बुजुर्ग, बच्चे सभी पूरे उत्साह के साथ रथ का सस्ता खींचते हुए भगवान को उनके मंदिर लेकर पहुंचे ।भगवान जगन्नाथ ने भी भक्तों के बीच पहुंचकर उन्हें अपना दर्शन और आशीर्वाद प्रदान किया। इस दौरान श्रद्धालुओं को रास्ते भर कनिका का प्रसाद प्रदान किया गया। कई स्थानों पर स्टाल लगाकर श्रद्धालुओं को भोग प्रसाद का वितरण भी विभिन्न संगठनों द्वारा किया गया।
