


श्री पीताम्बरा पीठ सुभाष चौक सरकंडा बिलासपुर छत्तीसगढ़ स्थित त्रिदेव मंदिर में गुप्त नवरात्र के सातवे दिन एवं पीताम्बरा यज्ञ के आठवे दिन माँ श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी की उपासना धूमावती देवी के रूप में की जाएगी।पीठाधीश्वर आचार्य दिनेश जी महाराज ने बताया कि “प्राणतोषिणी तंत्र” के मुताबिक माँ धूमावती एक विधवा के रुप में दिखाई गई हैं। इस तांत्रिक पुस्तक के मुताबिक एक बार देवी सती को जब भूख लगी तब महादेव शँकर से उन्होंने भोजन मांगा। महादेव शँकर के भोजन न देने पर उन्होंने भगवान शिव को ही खा लिया। लेकिन भगवान शिव को खा जाने के बाद उन्हें पश्चाताप हुआ और उन्होने फिर से भगवान शिव को अपने मुख से निकाल लिया। भगवान शिव के बिना होने की वजह से कुछ समय के लिए माँ धूमावती विधवा हो गई और भगवान शिव ने उन्हें शाप भी दे दिया।

वैधव्य और दरिद्रता की वजह से माँ धूमावती हमेशा पुराने जर्जर फटे कपड़ों मे बिखरे हुए बालों के साथ दिखाई गई हैं। माँ धूमावती को श्मशान में विराजित दिखाया गया है। कभी कभी वो बिना घोड़े वाले रथ पर सवार दिखाई गई हैं, जिसका अर्थ जीवन की अनिश्चित यात्रा से है। कभी कभी वो कौए से जुते रथ पर सवार भी दिखाई गयी हैं इन अशुभताओं के बावजूद माँ धूमावती वर मुद्रा में दिखाई गई हैं। उन्हें संतान देने वाली देवी के रुप में भी पूजा जाता है। वो सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली माँ हैं। वो मानव जीवन की सभी समस्याओं का समधान करके उसे मोक्ष प्रदान करने वाली महाशक्ति हैं।
