सड़क चौड़ीकरण के नाम पर रतनपुर में भेदभाव पूर्ण कार्यवाही को लेकर कलेक्टर से की गई शिकायत, तहसीलदार पर लग रहे हैं गंभीर आरोप, बेघर हुए 18 परिवार मांग रहे हैं क्षतिपूर्ति

यूनुस मेमन

तहसीलदार

रतनपुर में सड़क चौड़ीकरण के नाम पर जिस तरह से गरीबों के आशियाने पर बुलडोजर चलाया गया है, उस पर कलेक्टर से शिकायत के बाद कार्यवाही करने वाली तहसीलदार शिल्पा भगत की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। रतनपुर में शनिचरी बाजार के पास खंडोबा मंदिर से मेलनाडीह मार्ग और शनिचरी रतनपुर से कोटा मार्ग में फोरलेन सड़क चौड़ीकरण किया जाना है। पीडब्ल्यूडी विभाग ने इसके लिए सड़क के दोनों ओर 40-40 फीट अतिक्रमण हटाने की मांग की थी। बताया जा रहा है कि बीते रविवार दोपहर को अचानक तहसीलदार शिल्पा भगत दल बल के साथ पहुंची और शनिचरी बाजार के पास मौजूद 18 निर्माण को ढहा दिया गया।

इससे पहले यहां रहने वाले सभी को 40 फीट अतिक्रमण हटाने का नोटिस दिया गया था। इस मामले में तहसील न्यायालय में सुनवाई चल रही थी, इसलिए सभी निश्चिंत थे, लेकिन अब अचानक बिना किसी पूर्व सूचना के रविवार को 18 निर्माण ढहा दिए गए। पीड़ित पक्षकार संतोष यादव, सचिन श्रीवास्तव, शबाना बेगम , राजिया बेगम ,आफरीन सुलेखा, विपिन श्रीवास्तव कैलाश श्रीवास्तव, जहीर गुलशेर अली आदि ने शिकायत करते हुए कहा कि उनकी कई पीढ़ी इसी जगह रहती आ रही है ।सभी पिछले 50 वर्षों से यहां काबिज है। सबके पास जमीन का पट्टा भी है। बाकायदा बिजली कनेक्शन मिला हुआ है, लेकिन फिर भी उन्हें अपनी बात रखने का अवसर तक नहीं दिया गया।

शिकायतकर्ताओ ने यह भी कहा कि तहसीलदार शिल्पा भगत ने तानाशाही पूर्ण कार्यवाही की और उन्हें अपना सामान निकालने तक का अवसर नहीं दिया। जिंदगी भर की जमा पूंजी पल भर में खंडहर में तब्दील कर दी गयी। इसे प्रशासनिक गुंडागर्दी बताते हुए और भी गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि शनिचरी बाजार की जमीन दान में दिया गया था। उसी बाजार के सामने मगर सड़क से काफी दूर यह निर्माण मौजूद थे। सूत्रों से जानकारी मिली है कि पिछले कुछ सालों में दान दी गई जमीन को दस्तावेजों में हेरफेर कर और दस्तावेज गायब कर वापस किसी के नाम चढ़ा दिया गया है। पीड़ित पक्षकारों ने बताया कि शनिचरी बाजार की जमीन जिसके नाम है उसे लाभ पहुंचाने की गरज से ही यह पूरी कार्यवाही की गई है।

नियमानुसार सड़क के दोनों ओर 40- 40 फीट अतिक्रमण हटाना था लेकिन एक ओर 60 फीट गहरे तक निर्माण ढहा दिए गए। इस सवाल पर तहसीलदार शिल्पा भगत की दलील है कि यह जगह डेंजर जोन होने की वजह से उन्हें 60 फीट अतिक्रमण हटाना पड़ा, जबकि पीडब्ल्यूडी विभाग के एसडीओ संतोष भगत कुछ और ही कह रहे हैं। उनका कहना है कि डेंजर जोन में क्लियर विजन के लिए 40 फीट निर्माण हटाना पर्याप्त था। जब उनसे पूछा गया कि 60 फीट निर्माण क्यों ढहाया गया तो उन्होंने गेंद तहसीलदार शिल्पा भगत के पाले में डाल दिया।

बड़ा सवाल यह है कि जब यह पूरा मामला रतनपुर तहसील न्यायालय में लंबित था तो फिर कार्यवाही की इतनी जल्दबाजी आखिर क्यों थी ? सचमुच किसी को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से ऐसी पक्षपातपूर्ण कार्यवाही की गई ? इन सवालों का जवाब प्रशासन को देना ही होगा।
मामले का दूसरा पहलू संदेह को और भी गहरा कर रहा है। जिस शनिचरी बाजार में एक तरफ 60 फीट तक कथित अवैध कब्जे को हटाया गया तो वहीं सड़क की दूसरी ओर जमात से बातचीत के बाद केवल 40 फीट अवैध निर्माण हटाने की ही कार्यवाही की गई। इस पक्षपातपूर्ण कार्यवाही पर ही उंगली उठाई जा रही है ।

पीड़ित पक्षकारों का कहना है कि शनिचरी बाजार की जमीन के सामने बने निर्माण को किसी खास को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य तोड़ा गया है। सड़क के एक और 40 फीट तो दूसरी और 60 फीट कब्जा तोड़े जाने को पक्षपातपूर्ण कार्रवाई बताते हुए कलेक्टर से भी जनदर्शन में शिकायत की गई है और मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषी के खिलाफ कार्यवाही की मांग की गई है। लोगों का कहना है कि इस भीषण गर्मी और आने वाले बरसात की भी अनदेखी कर जिस तरह से 18 परिवारों को बेघर किया गया है, वह अमानवीय है। किसी को भी अपना सामान निकालने तक का वक्त नहीं दिया गया। इससे उनकी जिंदगी भर की कमाई से अर्जित सामान खंडहर में बर्बाद हो गए। मकान और दुकान तोड़कर इन लोगों को सड़क पर ला खड़ा किया गया है, इसलिए वे तहसीलदार के खिलाफ कार्यवाही के साथ क्षतिपूर्ति की भी मांग कर रहे हैं।

इधर मामले में कलेक्टर से शिकायत किए जाने और अपने खिलाफ लगातार बनता माहौल देखकर तहसीलदार शिल्पा भगत के तेवर ढीले हुए हैं। पता चला है कि उन्होंने पीड़ित पक्ष कारों को बुलाकर यह आश्वासन दिया है कि जल्द से जल्द उनका पुनर्वास किया जाएगा। उन्हें उचित भूखंड या फिर सरकारी आवास उपलब्ध कराने की बात कही गई है।

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