कल शुक्रवार को श्री शनिदेव जयंती और वट सावित्री का व्रत, बिलासपुर समेत सभी शनि मंदिरों में होगी विशेष पूजा-अर्चना, सुहागिन महिलाएं वट सावित्री व्रत का करेंगी पालन

जेष्ठ माह की अमावस्या को अर्थात इस शुक्रवार को न्याय के देवता शनि देव की जयंती और वट सावित्री व्रत बनाया जाएगा। इसके लिए बिलासपुर में भी बड़े पैमाने पर तैयारियां की गई है। सूर्यपुत्र शनिदेव कर्मफल के दाता माने जाते हैं। वह जातक के कर्म अनुसार उनके साथ न्याय करते हैं। शनि की दृष्टि मारक मानी जाती है, जिस से मुक्ति के लिए शनि देव की जयंती पर विशेष पूजा-अर्चना का विधान है। मान्यता है कि शनि जयंती पर शनिदेव की विधि विधान से की गई पूजा अर्चना से शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या से पीड़ित जातक को राहत मिलती है। इस दिन शनि से जुड़े वस्तुओं के दान का भी विधान है ।


वहीं देवी सावित्री ने इसी तिथि पर अपने सतीत्व से पति सत्यवान के प्राण यमलोक से वापस लाए थे, जिस की स्मृति में महिलाएं वट सावित्री का व्रत करती है। वट वृक्ष के नीचे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर सूत लपेटा जाता है। बिलासपुर में भी जहां-जहां बरगद के पेड़ है वहां सुहागिन महिलाएं सुबह से ही पहुंचकर विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करेंगी, वही बिलासपुर के सभी शनि मंदिरों में भी शुक्रवार को शनिदेव की विशेष पूजा-अर्चना होगी। चिल्हाटी स्थित शनि मंदिर , राजकिशोर नगर, सिम्स, भारतीय नगर अय्यप्पा मंदिर, पुराना बस स्टैंड चौक, हरदेव लाल मंदिर समेत सभी शनि मंदिरों में इस दिन विशेष पूजा अर्चना और अनुष्ठान होंगे। राजकिशोर नगर स्थित श्री शनि मंदिर में भी सुबह से ही पूजा अर्चना का क्रम शुरू हो जाएगा। शनिदेव की पूजा आरती के साथ शनि शिला पर शनि को प्रिय वस्तुओं का अर्पण और तेल अभिषेक किया जाएगा।

जनकल्याण के उद्देश्य से विशेष पूजा और हवन का भी आयोजन श्री शनि मंदिर समिति द्वारा किया जा रहा है। शनि जयंती पर कई मंदिरों में भोग भंडारे का भी आयोजन किया जाएगा। शनि जयंती पर पीपल के पेड़ के नीचे दीपदान, शनि देव को नीले पुष्प अर्पित कर काली उड़द लोहे का छल्ला आदि अर्पित करने से जातक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। शनि जयंती पर हनुमान जी की पूजा अर्चना से भी शनिदेव प्रसन्न होते है। वट सावित्री व्रत और शनि जयंती पर जगह-जगह धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होंगे जिसकी तैयारी गुरुवार को पूरी की गई।

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