किराए के मकान में सागौन लकड़ी से बन रह था फर्नीचर , वन विभाग ने मारा छापा , ना बढ़ई हाथ लगा ना मकान मालिक

यूनुस मेमन

करगीरोड कोटा – कोटा वन विभाग की टीम ने आज शहर के बीचों बीच एक बड़ी कार्यवाही करते हुए एक मकान पर दबिश देते हुए लाखों की बेशकिमती सागौन लकड़ी और उससे बन रहे फर्नीचर को जप्त किया है ।


प्राप्त जानकारी के अनुसार कोटा वन विभाग ने आज फिरंगी पारा के एक मकान पर दबिश देते हुए लाखों रूपए का सागौन जप्त किया है । वन विभाग की टीम ने आज फिरंगीपारा में किसी दिनेश पाण्डेय के घर पर छापा मारकर अवैध सागौन के सिलप्ट और लकड़ियों की जप्ती की है ।
कोटा वन विभाग ने मुखबीर की सूचना पर फिरंगीपारा के एक मकान में जब छापेमारी की तो उनकी आंख फटी की फटी रह गई यहां से बड़े पैमाने पर सागौन के सिलप्ट और उससे फर्नीचर तैयार हो रहे थे । मुखबीर की सूचना पर वन विभाग के एक अधिकारी इस मकान में पहुंचे थे उस समय मकान खुला था लेकिन वहां कोई नहीं था । शायद वन विभाग के लोगों को देख कर मकान में काम कर रहे लोगों के कान खड़े हो गए होंगे ।
आज वन विभाग ने जो कार्यवाही की है उसने ये बता दिया है कि कोटा क्षेत्र में जंगलों से अवैध रूप से काट कर सागौन की लकड़ियों का कारखाना संचालित हैं जहां से पूरे क्षेत्र में सागौन के फर्नीचर सप्लाई होते हैं ।


वन विभाग के डिप्टी रेंजर महेश चंद्र पाण्डेय ने बताया कि – मुखबीर की सूचना पर फिरंगीपारा के दिनेश पाण्डेय के मकान पर छापा मारा गया था जहां से बड़ी मात्रा में सागौन की लकड़ी जप्त की गई है उन्होंने कहा कि पूरे मामले में वन अधिनियम की धाराओं के तहत कार्यवाही की जाएगी सवाल ये उठता है कि शहर के बीचों बीच आखिर इतनी बड़ी मात्रा में सागौन की लकड़ी कैसे पहुंच गई । कोटा के चारों तरफ वन विभाग के चेक पोस्ट है तो क्या इन चेक पोस्ट पर कभी चेकिंग नहीं होती ? क्योंकि जिस जगह का ये मामला बताया जा रहा उसके पास ही वन विभाग का एक चेक पोस्ट भी है । वन विभाग की इस बड़ी कार्यवाही के बाद भी इनके हाथ ना तो मकान मालिक आया और ना ही बढ़ई ।

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