
आकाश दत्त मिश्रा

अक्षय तृतीया पर हर वर्ष की भांति इस बार भी भगवान परशुराम की जयंती मनाई जाएगी। हालांकि बिलासपुर में इस वर्ष आयोजन अलग-अलग संगठनों द्वारा की जा रही है। इन्हीं में से एक समग्र ब्राह्मण समाज और परशु सेना द्वारा पांच दिवसीय महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इसकी जानकारी देने मंगलवार को आयोजन समिति के सदस्य बिलासपुर प्रेस क्लब पहुंचे, उन्होंने बताया कि 30- 40 साल पहले बिलासपुर में बेहद सामान्य ढंग से कुछ उत्साही ब्राह्मणों द्वारा परशुराम जयंती शोभा यात्रा की शुरुआत की गई थी, जिसने आज भव्य स्वरूप ले लिया है। अब तो बिलासपुर और आसपास पूरे पखवाड़े भर यह उत्सव मनाया जाता है।

भगवान श्री परशुराम जी जन्म उत्सव मैं इस बार पांच दिवसीय महोत्सव की रूपरेखा तय की गई है। इसका आरंभ 19 अप्रैल बुधवार से हो रहा है। प्रथम दिवस लोखंडी आशीर्वाद भवन स्थित भगवान परशुराम मंदिर में विराजित भगवान के जीवंत विग्रह की पूजा अर्चना एवं आरती की जाएगी। इसके साथ ही जन्मोत्सव का आरम्भ होगा। इसी क्रम में 20 अप्रैल को जिला चिकित्सालय बिलासपुर में सुबह 10:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाएगा। गर्मी के दिनों में ब्लड बैंक में रक्त की मांग बढ़ जाती है, जिसे इस रक्तदान शिविर के माध्यम से पूरा किया जाएगा।
तीसरे दिन 21 अप्रैल शुक्रवार को भगवान परशुराम जन्मोत्सव के क्रम में महिला संगठनों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं विविध प्रतिस्पर्धाओ का आयोजन किया जाएगा। देवकीनंदन स्कूल भवन में दोपहर 12:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक जहां प्रतिभागी विभिन्न स्पर्धाओं में भाग लेंगे वही उनके द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी प्रस्तुति दी जाएगी ।

शनिवार 22 अप्रैल को कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज भवन इमली पारा में सुबह 10:30 बजे से भगवान परशुराम जन्मोत्सव के उपलक्ष में विप्र समाज द्वारा भगवान परशुराम जी की सामूहिक आरती, पूजन एवं प्रसाद वितरण किया जाएगा। रविवार 23 अप्रैल को भगवान परशुराम जयंती अवसर पर भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। दयालबंद स्थित शीतला माता मंदिर से यह शोभायात्रा निकलेगी, जिसमें उज्जैन के प्रसिद्ध डमरू बजाने वाली टोली आकर्षण का केंद्र होगी। इस शोभायात्रा में इलाहाबाद नागा अखाड़े के साधु भी शामिल होंगे। परशुराम जयंती महोत्सव के क्रम में बिलासपुर शहर को भव्य रूप से सजाया जाएगा। बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए आयोजन समिति ने कहा कि भारत के सभी प्रांत में रहने वाले ब्राह्मण एक मंच पर आकर इस उत्सव का हिस्सा बनेंगे ।

भगवान परशुराम केवल ब्राह्मणों के देवता नहीं है। वे तो समस्त सनातनियों के आराध्य हैं। भगवान विष्णु के अवतार भगवान परशुराम का जन्मोत्सव केवल ब्राह्मण समाज नहीं बल्कि समग्र जन मनाएंगे।

