मुंगेली का चातर खार चौक बना अवैध शराब बिक्री का गढ़, आखिर किसके संरक्षण में कोंचिये कर रहे हैं शराब बिक्री ? इस अवैध कारोबार के चलते यहां बढ़ रहा है अपराध का ग्राफ

आलोक मित्तल

मुंगेली- चातरतरखार- गीदा बाईपास पर चातर खार तिराहा अपराध का गढ़ बनता जा रहा है। यहां आए दिन अवैध वसूली, लूटपाट, मारपीट से लेकर हर तरह के जरायम पेशे को अंजाम दिया जा रहा है, और इसके केंद्र में यहां अवैध शराब की बिक्री मुख्य वजह है।
मुंगेली थाना और शहर से करीब 5 किलोमीटर की दूरी और अगला थाना या शराब दुकान 15 किलोमीटर दूर फास्टरपुर में होने से यहां अवैध कारोबार फल-फूल रहा है। एक तरफ यह क्षेत्र थाने से दूर होने की वजह से यहां पुलिस की गश्त कभी नहीं होती तो वहीं सरकारी शराब दुकान भी काफी दूर होने से लोग अवैध तरीके से शराब बेचने वाले कोचियो से ही शराब की खरीदारी करते हैं । बताया जा रहा है कि यहां तिराहे पर भीड़ भाड़ होने की वजह से आसपास अवैध तरीके से देसी शराब की बिक्री की जा रही है, जिसके ग्राहक स्थानीय ग्रामीण तो है ही, वही यहां से गुजरने वाले ट्रक चालक भी अब यहां शराब खरीदने ठहरने लगे है। क्षेत्र में शराब और ढाबे की उपलब्धता की वजह से ट्रक चालक यहां रुक रहे हैं तो वहीं शराब पीकर या फिर शराब पीने के लिए पैसे मांगने के नाम पर स्थानीय बदमाश इन्हीं ट्रक चालकों से या फिर रात में गुजरने वाली राहगीरों से अवैध वसूली भी कर रहे हैं।


फास्टरपुर और मुंगेली थाना यहां से दूर होने के चलते अव्वल तो यहां पुलिस कभी आती नहीं । और कोई फोन कर घटना की सूचना भी दे तो भी पुलिस को मौके पर पहुंचने में घंटों लग जाते हैं, जिस कारण से अपराधियों के हौसले बुलंद है ।
यहां कुछ लोगों के द्वारा बेखौफ होकर अवैध तरीके से शराब बेची जा रही है। जानकार बता रहे हैं कि इनके द्वारा शराब की मात्रा बढ़ाने के लिए शराब में मिलावट भी की जाती है। खतरनाक कैमिकल मिलाए जाने की वजह से कभी भी इस जहरीली शराब को पी कर लोगों की मौत भी हो सकती है।
जब यहां अवैध रूप से शराब बेचे जाने की जानकारी बाहर के ट्रक चालकों को भी है तो फिर यह कैसे मुमकिन है कि इसकी जानकारी स्थानीय पुलिस या फिर आबकारी विभाग को ना हो ? सूत्रों की माने तो पुलिस को आबकारी विभाग का पर्याप्त सहयोग नहीं मिल पाता, जिसके कारण पुलिस भी इस पचड़े में हाथ डालने से बचती है। यह भी कहा जा रहा है कि आबकारी और पुलिस विभाग के कुछ निचले दर्जे के कर्मचारियों को उनका हिस्सा मिल रहा है, इस वजह से भी इन कोचियों को संरक्षण दिया जा रहा है। चातर खार तिराहे में अवैध शराब बिक्री होने से बघामुड़ा, फंदवानी, झड़गट्टा, चालान, शीतलकुंडा , अमलीडीह, गस्तीकंपा जैसे गांवों और बस्तियों के लोग यहां से शराब खरीदते हैं । आसपास के इलाकों के लिए शराब मिलने का यही एक मात्र ठिकाना बन चुका है ।


अब रात में तो क्या यहां दिन में भी बेखौफ शराब बेची जा रही है । यही कारण है कि हर वक्त यहां शराबियों को बहकते, डोलते देखा जा सकता है। उनके द्वारा कई अपराधों को भी अंजाम दिया जा रहा है, जिनमें राहगीरों से लूटपाट और अवैध वसूली आम बात हो चुकी है ।अधिकांश मामलों में पुलिस तक शिकायत भी नहीं पहुंचती। मुंगेली और आसपास के क्षेत्रों में जुआ- सट्टा के मामले जरूर कम हुए हैं लेकिन नशीले पदार्थ और अवैध शराब की बिक्री बढ़ गई है , जिसका एक बड़ा केंद्र चातर खार तिराहा बन चुका है । यहां कुछ लोगों द्वारा खुलेआम शराब बेची जा रही है। अगर पुलिस और आबकारी विभाग ठान ले तो इन पर एक दिन में नकेल कसा जा सकता है, लेकिन फिलहाल ऐसी कोई इच्छाशक्ति दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही । इसी कारण से कोचियों के पौ बारह हो रहे है।

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