उसलापुर के चर्चित अतिक्रमण पर शनिवार को चला निगम का बुलडोजर, इस कार्यवाही पर नमिता ऋषि ने जताई कड़ी आपत्ति, कहा निगम ने अतिक्रमण के अलावा उनकी निजी 40 फीट जमीन पर भी की कार्यवाही, दुर्व्यवहार का भी लगाया आरोप

आलोक अग्रवाल

महावीर नगर से उसलापुर ओवरब्रिज तक की सड़क को जोड़ने वाली बाईपास रोड निर्माण के लिए बाधक बन रहे अतिक्रमण को शनिवार को ढहाया गया। मंगला नाका चौक पर बढ़ती भीड़ और जाम को रोकने के लिए महावीर नगर मोड़ के पास से उसलापुर फ्लाईओवर ब्रिज तक सड़क बननी है। नई सड़क बन जाने से गौरव पथ की ओर से आने वाले ट्रैफिक को सीधे ही फ्लाई ओवर तक डायवर्ट किया जा सकेगा। करीब 34 निर्माण इसके आड़े आ रहे हैं। महावीर नगर से उसलापुर रेलवे ओवरब्रिज तक खसरा नंबर 1552 की जमीन 1972- 73 में रेलवे ने नगर निगम को दे दी थी। असल में 1928 में यहां से मुंगेली- कवर्धा- मंडला रेलवे लाइन का प्रस्ताव था। यह भूमि रविंद्र नाथ टैगोर चौक, पुराना बस स्टैंड, राजीव प्लाजा, सूर्या होटल होते हुए इमलीपारा रोड, लिंक रोड , नेहरू नगर नर्मदा नगर से महावीर नगर होते हुए उसलापुर तक आगे तक बढ़ती है। बाद में यह योजना ठंडे बस्ते में चले जाने से रेलवे ने यह जमीन नगर निगम को दे दी थी। निगम इस ओर उदासीन रहा तो इसमें एक के बाद एक अतिक्रमण होते चले गए। जिसमें अट्टालिकाओ से लेकर शादी भवन और पेट्रोल पंप तक शामिल है। हरी चटनी नामक एक रेस्टोरेंट खोलने के बाद पूरा मामला सुर्खियों में आया।

नमिता ऋषि ने अतिक्रमण हटाने का काम किया था शुरू

प्रस्तावित सड़क पर किनका है कब्जा

पिछले दिनों हुए नापजोख में रेलवे की जमीन पर नमिता ऋषि, लक्ष्मी पैट्रोल पंप (इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड), राजेंद्र सिंघानिया, डीडी बजाज, संतोष सिंघानिया, कबीर चड्डा, आसमा बिल्डर मोहम्मद आसिफ जाफरी, अनुराधा, गोपाल हंसराज पटेल, संतोष सिंघानिया, विपिन बैस, राजेंद्र अग्रवाल, कमलावती गुप्ता, छगन यादव, देवेंद्र सिंह, मुंशीराम उपवेजा, संतोष परिहार, हरप्रीत सिंह भगत, आशुतोष पाठक, पाटीदार  हरीश पटेल, राकेश पाटीदार, शक्ति सैनिटरी, भोगल, जय माता दी टिंबर, बालाजी आवासीय परिसर, विष्णु टिंबर, लक्ष्मी टिंबर, हार्दिक टिंबर, किशोर भाई पटेल, कांति होते, शिव पांडे, गीता प्रसाद दुबे आदि का कब्जा मिला ।

लड़ाई कोर्ट तक भी पहुंची, जिसके बाद हाईकोर्ट ने अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया। निगम के पक्ष में हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद सभी संबंधितो को नोटिस दिया गया था और इसके बाद 6 अप्रैल को 11 अतिक्रमण को हटाने की कार्यवाही कर सभी को तुरंत बेजा कब्जा हटाने की मोहलत दी गई थी। इस बीच कुछ लोग कोर्ट भी चले गए।

बुधवार के बाद शनिवार को भी हुई कार्यवाही

शनिवार को सुबह अचानक निगम का दस्ता बुलडोजर के पास पहुंचा और देखते ही देखते अतिक्रमण ध्वस्त कर दिए गए। जिन का मामला कोर्ट में विचारधीन है, उनके निर्माण पर फिलहाल कार्यवाही नहीं हुई है, जिनमे कबीर चड्ढा, पाटीदार भवन, डी डी बजाज और सिंघानिया आदि शामिल है।

इस कार्रवाई पर नमिता ऋषि ने जताई गहरी आपत्ति

इधर निगम की कार्यवाही पर नमिता ऋषि ने कठोर आपत्ति जताते हुए कहा कि शुरू से ही नगर निगम की कार्यवाही संदेह के दायरे में है। जिस सीमांकन की बात निगम के अधिकारी करते हैं उन्हें तो इसकी जानकारी तक नहीं है। सीमांकन के दौरान उनके हस्ताक्षर भी नहीं है। नमिता ऋषि की शिकायत है कि शनिवार को बिना सूचना पहुंचे निगम के कर्मचारियों ने ना केवल अतिक्रमण क्षेत्र बल्कि करीब 40 फुट भीतर उनके निजी जमीन पर भी तोड़फोड़ की कार्यवाही की, जबकि वह स्वेच्छा से पहले ही अतिक्रमण हटाने अपना निर्माण कार्य शुरू करवा चुकी थी। नामित ऋषि ने यह भी आरोप लगाया कि बिना सूचना तोड़फोड़ शुरू कर दिया जाने से निर्माण कार्य में जुटे मजदूर घायल होते – होते बचे। गेट के पास उनका पालतू कुत्ता भी बंधा था। इस कार्यवाही से उसकी भी जान जा सकती थी। कुछ दिन पहले उन्होंने 25 हज़ार रुपये खर्च कर जनहित में घर के सामने प्याऊ बनवाया था, निगम के कर्मचारियों ने उसे भी ध्वस्त कर दिया। उसे हटाने का मौका भी नहीं दिया।

इस कार्यवाही में उनके लाखों रुपए के टाइल्स बर्बाद कर दिए गए। इतना ही नहीं नमिता ऋषि यह भी आरोप लगा रही है कि कार्यवाही के दौरान अतिक्रमण शाखा के प्रभारी प्रमिल शर्मा ने उनके साथ बदसलूकी की और अभद्र भाषा का प्रयोग किया। नमिता ऋषि ने यह भी आरोप लगाया कि वह निगम के साथ पूरी तरह सहयोग कर रही थी, जिसका बेजा फायदा उठाते हुए निगम के कर्मचारियों ने अतिक्रमण के अतिरिक्त करीब 40 फीट भीतर उनकी निजी जमीन पर भी तोड़फोड़ की है और कहा कि आपका तो इतना बड़ा गार्डन है , क्या फर्क पड़ता है अगर 30- 40 फीट जमीन गया भी तो । मीडिया से चर्चा करते हुए नमिता ऋषि ने बताया कि उनके अलावा और भी पीड़ित पक्ष का रोने 5 अप्रैल को ही कलेक्टर से इस संबंध में मुलाकात की थी जहां कलेक्टर ने स्वयं आश्वासन दिया था कि वह मौके पर पहुंचकर मार्किंग करेंगे इसके बाद ही अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही होगी लेकिन बजाय इसके उन्हें अंधकार में रखकर अचानक या कार्यवाही कर दी गई उन्होंने इसके खिलाफ कोर्ट में जाने की बात कही है।

अतिक्रमण हटाने के बाद यहां 950 मीटर लंबी और 65 फीट चौड़ी सड़क का निर्माण होगा, जिस पर करीब 8 करोड रुपए की लागत आएगी। सड़क निर्माण पर करीब 6 करोड़ तथा स्ट्रीट लाइट व नाला निर्माण में करीब 2 करोड़ खर्च किए जाएंगे। यह राशि स्मार्ट सिटी प्रबंधन फंड से जुटाई जाएगी।

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