परम पूज्य श्रीमती निर्माला देवी के 100वें जन्म जयंती महोत्सव पर शहर में भव्य आयोजन

सहज योग का हिन्दी में अर्थ है वह तरीका जिससे मनुष्य का संबंध (योग) परमात्मा से हो सकता है मानव शरीर में जन्म से ही एक सुक्ष्म तंत्र अदृश्य रूप से हमारे अंदर होता है। जिसे आध्यातमिक भाषा में सात चक्रों तथा ईड़ा, पिंगला, शुषुम्ना नाड़ीयों के नाम से जाना जाता है तथा इनके साथ परमात्मा की शक्ति कुण्डलिनी शक्ति के रूप में मानव शरीर में स्थित होती है यह शक्ति प्रत्येक मानव में स्थित होती है। यह शक्ति प्रत्येक मानव में सुप्तावस्था में होती है जो मनुष्य या अवतार इस शक्ति के जागरण का अधिकारी है वह यह कुण्डलिनी शक्ति जागृत करता है जिससे मानव को आत्म साक्षात्कार मिलता है।

धरती पर मानव उत्क्रांति में समय-समय पर किये गये परमात्मा के कार्य हेतु अनेक गुरू, सूफि संत, पीर पैगम्बर और अवतारों ने पृथ्वी पर जन्म लिया और मानव जाति को सहजयोग का ज्ञान दिया। अब तक इनके किये गये अधुरे आध्यत्मिक कार्यों को आगे बढ़ाते हुए इसको अधिक पहुंच योग्य तथा सुगम करने के लिए साक्षात् आदिशक्ति का अवतरण निर्मला श्रीवास्तव (श्री माताजी निर्मला देवी) के रूप में हुआ जो आधुनिक युग में सहजयोग संस्थापिका है जिन्होंने दुर्लभ आत्म साक्षात्कार को सार्वजनिक और आसान बनाकर संसार में प्रसारित किया जिसका आज विश्व के 100 से अधिक देशों के सभी धर्मों के लोग लाभ ले रहे हैं।

श्रीमाता जी ने संसार के सभी धर्मों को गहराई से समझाते हुए सबमें एक ही सत्य स्वरूप परमात्मा को स्पष्ट किया है और सभी धर्मों को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया है।

दिनांक 21.03.2023 को श्रीमाता जी ने 100वें जन्म जयंती के अवसर पर विश्व भर में सहज योग सामूहिकता द्वारा भव्य बर्थडे पूजा महोत्सव का आयोजन किया गया। इसी क्रम में सहजयोग समिति, बिलासपुर के तत्वाधान में दिनांक 22.03.2023 को 100वें बर्थडे पूजा महोत्सव का आयोजन किया गया। हर्षोल्लास से श्रीमाता जी की पूजा अर्चना व श्री चरणों में पुष्प अर्पण कर सामूहिक ध्यान किया गया, व भजन कार्यक्रम संपन्न किया गया तथा विश्व शांति तथा सहज प्रेम की मंगल कामना की गई। इस अवसर पर समिति के पदाधिकारी एवं सदस्य आदि उपस्थित रहे।

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