

श्री सिद्ध शक्तिपीठ शीतला माता मंदिर में शीतला अष्टमी पर कथा हवन पूजन भोज भंडारा का आयोजन किया गया शीतला माता मंदिर के सेवक श्री गोपाल कृष्ण रामानुज दास जी ने शीतला माता कि महिमा बताते हुए कहा मां शीतला का स्वरूप शीतलता प्रदान करता है। माता जी के एक हाथ में झाड़ू और दूसरे हाथों में जल से भरा कलश सुशोभित है मनुष्यों के कल्याण प्राण रक्षा एवं बिमारियों से बचाने के लिए अवतरा हुआ है। शीतलाष्टमी का यह व्रत प्रायः सभी प्रांतों में मनाया जाता है अधिक तर राजस्थान में मारवाड़ी समाज के लोग बसौडा के रुप मे मनाते हैं स्कंद पुराण में मां शीतला कि उपासना का बडा ही महत्व गया है अष्टमी तिथि को पूरे परिवार के साथ मां शीतला के मंदिर में जाकर जल से स्नान करा कर हल्दी कुमकुम रोली सिन्दूर एंंव सोलह श्रृंगार नीम के पत्ते का चवर चढ़ा ते है मां को उस दिन ठंडे व बासी भोजन का भोग अर्पित किया जाता है दही , मीठा चावल , मीठा रोटी, हलुआ, पुरवा चना , ऋतु फल आदि विशेष रूप से माता जी को झाड़ू और तांबे के कलश में जल भर कर चढाने से मां प्रसन्न होकर मन वंचित फल प्रदान करती है ।

ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त मां शीतला कि उपासना पूजा अर्चना करता है उसे किसी भी प्रकार का चर्म रोग नहीं होता गर्मी के दिनों में अक्सर माता आ जाती है जिसे डा कि भाषा में (चिकन पॉक्स) कहते हैं ऐसे ही चेचक , गलघोंटू, फूंसी जैसे विभिन्न प्रकार के रोगों से बचाने के लिए मां शीतला कि उपासना कि जाती है मां सभी जन मानस कि रक्षा करती है। श्री सिद्ध शक्तिपीठ शीतला माता मंदिर के जन कल्याण एवं विभिन्न प्रकार के रोगों से जीव कि रक्षा करने के लिए अनुष्ठान किया गया इस अवसर पर आचार्य सचिन द्विवेदी जी श्री नरेन्द्र यादव, भागवत यादव, संजय साहू , श्री गोपाल कृष्ण रामानुज दास, शत्रुघन कृष्ण, श्री विपुल शर्मा, कृष्ण देवी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पूछा अर्चना की।
बुधवार शीतला अष्टमी पर हेमू नगर दुर्गा पंडाल मैदान और चूचूहिया पारा अंडर ब्रिज के सामने भी तीन दिवसीय शीतला पूजा आरंभ हुआ, जहां अष्टप्रहर कीर्तन भी किया जा रहा है।
