

भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का संकल्प लेकर छत्तीसगढ़ के चार शक्तिपीठों से महाशिवरात्रि पर शुरू हुई पदयात्रा 19 मार्च को रायपुर पहुंचेगी । छत्तीसगढ़ के चार दिव्य स्थानों से 18 फरवरी को यह पद यात्रा निकली थी। पदयात्रा राजनांदगांव के पाना बरस, दंतेवाड़ा के दंतेश्वरी मंदिर ,जांजगीर चांपा के चंद्रहासिनी मंदिर और महामाया मंदिर से आरंभ की गई है। संतों का मानना है कि भारत की आजादी के 75 वर्ष बीतने के बाद भी आज तक भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। देश को जल्द से जल्द हिंदू राष्ट्र बनाने, गांव-गांव में हिंदुओं के प्रति जन जागरण, धर्मांतरण पर रोक, जात पात को दूर करने जैसे विषयों को लेकर निकलो संतों की इस पद यात्रा का जगह-जगह भव्य स्वागत किया जा रहा है। 19 मार्च को सभी संतो की पदयात्रा का समागम रायपुर में होगा, जहां भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग की जाएगी।

रामानुजगंज से निकली संतों की पदयात्रा ने गुरुवार को बिलासपुर जिले में प्रवेश किया। 20 से अधिक साधु और साध्वियों के इस जत्थे के केंदा प्रवेश करते ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग संघचालक प्रदीप देशपांडे द्वारा फुल वर्षा कर उनका स्वागत किया गया। संतों की इस यात्रा को लेकर ग्रामीणों का उत्साह देखते ही बन रहा है। ग्रामीण स्वस्फूर्त घरों से निकलकर उन पर पुष्प वर्षा करते हुए उनकी आरती उतारते देखे गए। संतो ने छतौना में एक सभा ली, जहां हिंदू राष्ट्र निर्माण के लिए ग्रामीणों से संकल्प लिया गया, साथ ही छुआछूत खत्म करने, विधर्मियो की घर वापसी कराने का भी संकल्प ग्रामीणों ने लिया। छुआछूत भेदभाव मिटाने का संदेश देते हुए संतो ने ग्रामीणों के साथ भोजन प्रसाद ग्रहण किया।

शुक्रवार को संतो के साथ हिंदूवादी भी पदयात्रा करते देखे गए। केंदा से करीब 30 किलोमीटर की पदयात्रा कर संत बेलगहना पहुंच गए हैं , जहां रात्रि विश्राम के बाद शुक्रवार को वे कोटा की ओर प्रस्थान करेंगे। कोटा से रतनपुर होते हुए 12 मार्च को संत बिलासपुर पहुंचेंगे, जहां उनके भव्य स्वागत की तैयारी की जा रही है। संतों का मानना है कि भारत हमेशा से ही हिंदू राष्ट्र था और रहेगा, बस इसके आधिकारिक घोषणा की देर है। चारों स्थानों से निकली यात्रा कुल मिलाकर 2800 किलोमीटर की पदयात्रा करेगी । 17 मार्च को यह पदयात्रा रायपुर में समाप्त होगी और 19 मार्च को रायपुर में बहुत बड़े स्तर पर संत समागम होगा, जिसमें एक लाख से ज्यादा संत पहुंचेंगे।
