श्री राम कथा का तीसरा दिन, मानस मर्मज्ञ कौशल महाराज ने कहा..सावधान..महापुरूषों का भी होता है पतन..ऐसे लोगों को भगवान से नहीं मिलती माफी

बिलासपुर—- स्थानीय लाल बहादुर शास्त्री शाला मैदान में आयोजित राम कथा के तीसरे दिन विजय कौशल महाराज ने कहा भगवान खोजने से नहीं…पुकारने से हासिल होते हैं। ईश्वर की प्रतीक्षा करनी होती है। भगवान को किसी का अपकार याद नहीं होता..मनुष्यो को भगवान के उपकार याद रखना चाहिए। जिस धर्म में रहे, जिस कर्म रहे, जिस मर्म में रहे, जिस हाल में ईश्वर की भक्ति और साधना से ही जीवन का कल्याण होता है। उन्होंने कहा कि ईश्वर को याद करने से ही ईश्वर की दया मिलती है। याद का उल्टा दया ही होता है। परिवार रिश्ते नाते बस की सवारी की तरह है। इसे भी निभाते चलना होगा।

मानस मर्मज्ञ विजय कौशल ने कहा कलयुग में साधुता क्षीण होती जा रही है। सा जाना ही साधुता है। जो विषय, वस्तु और व्यक्ति से अप्रभवित हैं वही संत है…जो फंस गया वह संसारी कहलाता है। विजय कौशल ने बताया कि कलयुग में ईश्वर प्रकट नहीं होते। कलयुग में आदतें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने की बजाय अंधेरे की ओर ले जा रहे हैं। व्यसनों और दुर्गुणों के कारण भजन में मन नहीं लगता। ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती। कलयुग में सन्तानो को माता-पिता की इज्जत का हमेशा ख्याल रखना चाहिए। यही संतान का परम भी धर्म है।ऐसा आचरण करें कि बच्चों को अपने माता-पिता पर गर्व हो। बच्चे बड़े हो जाए उनकी शादी हो जाए तब गुरु के बताये मार्ग से परिवार में शांति और समाज में व्यवस्था स्थापित करें।

माता पिता के चरणों में चारो धाम

विजय कौशल महाराज ने कहा…माता-पिता में साक्षात ईश्वर का दर्शन होता है। उनकी अवज्ञा करने का मतलब भगवान की अवज्ञा करना है। माता पिता की सेवा नहीं करने वालो के घर में शांति नहीं रहती। माता पिता की सेवा में लीन सन्तानो को चारों धाम का सुख प्राप्त होता है। जिनकी मां होती है वह बड़े सौभाग्यशाली होते हैं जो मां की उपेक्षा करते हैं उनकी मां की आयु लंबी नहीं होती।

अयोध्या में छाया परमानंद.. भगवान नाम सहारा

विजय कौशल महाराज ने दुहराया भगवान के प्रकट होने पर अयोध्या में परमानंद का वातावरण हो गया। राम के जन्म लेते ही चंद्रमा व्याकुल हो गए थे। सूर्यनारायण का रथ ठहर गया। आनंद में अयोध्या में दिन और रात का पता ही नहीं चलता। चंद्र देव की व्याकुलता का निवारण भगवान श्रीराम ने द्वापर युग में रात्रि पहर में बारह बजे चंद्रवंश में आने का आश्वासन देकर किया। इसके बाद भगवान सूर्यवंशी होते हुए भी रामचंद्र कहलाए। उन्होंने कहा कि कलयुग में राम गुण गाने से सारे दुखों का अंत हो जाता है। जिसे भगवान का सहारा मिल जाए उसे और किसी सहारे की आवश्यकता नहीं है। जन्मोत्सव पर महाराज ने भगवान शिव के कागभुसुण्डी के साथ ईश्वर दर्शन के प्रसंग का मार्मिक उल्लेख किया ।

बुद्धि में कुमति और सुमति दोनों…भूल को दोहराना अपराध

ताड़का वध के बाद गुरु विश्वामित्र के साथ जनकपुर जाते समय देवी अहिल्या के उद्धार प्रसंग का जिक्र करते हुए महाराज श्री ने कहा कि बुद्धि में कुमति और सुमति दोनों समाहित है। इंद्र से मोहजाल से छली पति गौतम ऋषि से शापित अहिल्या माता का भगवान श्री राम ने चरण स्पर्श से उद्धार किया। माता अहिल्या के प्रसंग में कौशल महाराज ने बताया कि बुद्धि से हमेशा सावधान रहना चाहिए। क्योंकि महापुरुषों का भी पतन होता है। भूल किसी से भी हो सकती है। लेकिन भूल को दोहराना अपराध है। ऐसे लोगों को ईश्वर भी माफ नहीं करते।

प्रभु श्रीराम और माता जानकी के गृहस्थाश्रम प्रसंग पर विजय कौशल महाराज ने कहा मनुष्य के जीवन चक्र में किशोरावस्था सबसे महत्वपूर्ण है। जिसने किशोरावस्था को साध लिया उनका जीवन सफल होता है। किशोरावस्था में माता जानकी गौरी के चरणों में अपने जीवन का निर्माण करती है। गौरी, ज्ञान ,गंभीरता, दया, धर्म की प्रतीक है । किशोरावस्था में श्री राम गुरु के चरणो में अपने व्यक्तित्व को साधते हैं। गुरु तपस्या,त्याग और सत्कर्मो के प्रतीक है। व्यास विजय कौशल जी ने कहा जानकी जी भक्ति का प्रतीक है। भगवान राम माता जानकी के अलौकिक स्वरूप और भक्ति के प्रति आकर्षित होते हैं। भक्त भगवान से मिलने स्वयं आया करते है। यही कारण है कि वह जनकपुर के बाग में माता जानकी से मिलने गए प्रभु राम माता जानकी की कोमल भावनाओं की भक्ति की पुष्प कलियां भी नही तोड़ पाए। लेकिन अहंकार के प्रतीक परशुराम की धनुष को उन्होंने सहज ही तोड़ दिया।

भोजन ,भाषा और वेशभूषा में बिगाड़ से आती है विकृति-

कथा के दौरान विजय कौशल महाराज जी ने बताया भोजन ,भाषा और वेशभूषा में बिगाड़ किसी भी राष्ट्र में विकृति लाता है। वेशभूषा शालीन होनी चाहिए। महाराज जी ने व्यासपीठ से आह्वान किया राखी, भाई, दूज ,विवाह वर्षगांठ और जन्मदिन के अवसर पर भारतीय वेशभूषा सभी धारण करें। भारतीय संस्कृति की परंपरा को बनाए रखना हम सभी का कर्तव्य है। भारत सांस्कृतिक देश है। कतिपय विकृत मनोवृत्ति के लोगों ने देश की बेटियों को उद्दंड बनाने बनाने का प्रयास किया है जो कभी सफल नहीं होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!