
आलोक मित्तल

बिलासपुर सेंट्रल जेल के एक और कैदी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो जाने से पुलिस और जेल प्रबंधन सवालों के घेरे में है। निजात अभियान के तहत 10 फरवरी को कोटा क्षेत्र के गनियारी निवासी 24 वर्षीय उमेंद्र वर्मा को 13 लीटर महुआ शराब के साथ गिरफ्तार किया गया था। उसके खिलाफ आबकारी एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए उसे जेल भेज दिया गया। अचानक घर वालों को खबर मिली कि उनके बेटे की सिम्स में मौत हो गई है।

उमेंद्र के घरवाले इसलिए हैरान है कि 3 दिन पहले तक उनका बेटा भला चंगा घर पर था। अचानक उसे ऐसा क्या हो गया कि उसकी जान ही चली गई। बेटे की मौत की खबर पाकर बिलासपुर पहुंचे परिजनों ने हंगामा मचाया। बेटे की मौत पर सवाल उठाते हुए पिता रंगलाल वर्मा ने कहा कि शुक्रवार को पुलिस वाले घर आए थे और बिना कोई कारण बताए बेटे उठाकर ले गए। इस दौरान वह खाली हाथ था तो फिर उसके पास से शराब मिलने की बात कहां से आ गई। रंगलाल वर्मा का आरोप है कि उसके बेटे को छोड़ने के एवज में उनसे एक लाख रुपये की मांग की गई थी। वे 30 हज़ार रुपये लेकर गए भी थे ,लेकिन पूरे रुपये नहीं मिलने पर उनके बेटे को जेल भेज दिया गया।
मृतक उमेंद्र के पिता ने बताया कि शनिवार को वह अपने बेटे से मिलने जेल गए थे तो उमेन्द्र ने बताया था कि पुलिसकर्मियों की पिटाई के चलते उसके सीने में अंदरूनी चोट आई है, इसलिए परिजनों ने सिम्स में हंगामा मचाते हुए कहा कि उमेन्द्र की मौत स्वाभाविक नहीं है। पुलिस ने उसकी बेरहमी से पिटाई की है। पैसे नहीं देने पर उसे जबरदस्ती आपकारी केस में फंसाया गया है । बेटे की मौत पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग की गई है।
3 दिन पहले आबकारी एक्ट में उमेन्द्र वर्मा को गिरफ्तार कर सेंट्रल जेल बिलासपुर भेजा गया था। जेल प्रबंधन का कहना है कि रविवार को जेल में उसकी तबीयत बिगड़ गई थी, जिसके बाद उसे इलाज के लिए सिम्स भेजा गया। सिम्स में उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई ।

इधर जेल अधीक्षक खोमेश मंडावी का दावा है कि उमेन्द्र वर्मा शराब पीने का आदी था। जब उसे जेल लाया गया तो उसके शरीर पर किसी तरह की चोट नहीं थी। जेल में उसके अजीब हरकत करने पर उसे इलाज के लिए सिम्स भेजा गया था, जहां उसकी मौत हो गई। जेल अधीक्षक उमेन्द्र के मनोरोगी होने के बाद कह रहे हैं, लेकिन मनोरोग या शराब न पीने से किसी की मौत नहीं होती। इसलिए परिजन पूरे मामले में लीपापोती का आरोप लगा रहे हैं।
इधर एसएसपी सिटी राजेंद्र जयसवाल का कहना है कि जेल ले जाने से पहले उमेन्द्र वर्मा का डॉक्टरी मुलाहिजा किया गया था। जेल में ही उसकी तबीयत बिगड़ी, जिस वजह से उसकी मौत हो गई। फिलहाल मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में युवक के शव का पोस्टमार्टम कराया गया है, पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही मौत के कारणों का पता चलेगा।
यह पहला मामला नहीं है जब केंद्रीय जेल बिलासपुर में किसी कैदी की मौत हुई हो। आरोप है कि जेल जाने के बाद जेल में मौजूद दबंग लंबरदार कैदियों को तरह-तरह से प्रताड़ित करते हैं और उनसे पैसों की मांग की जाती है। हर एक सुविधा के लिए पैसे मांगे जाते हैं ।मारपीट कर खौफ पैदा किया जाता है। परिजनों से पैसे मंगाने की बात कही जाती है। इस तरह के आरोप पहले भी लगे हैं लेकिन कुछ दिनों बाद सब कुछ ठंडा हो गया ।
उमेन्द्र वर्मा की मौत पुलिसकर्मियों की पिटाई से हुई या फिर जेल के भीतर ही उसके साथ मारपीट की गई इसका पता तो जांच से ही हो पाएगा । फिलहाल यह पता लगाना प्राथमिकता है कि आखिर उसकी मौत किस वजह से हुई ।इधर इस घटना के बाद बिलासपुर पहुंचे उमेन्द्र वर्मा के परिजनों ने पूरे मामले को संदिग्ध बताते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है।
