
आलोक मित्तल

सोमवार को दयालबंद स्थित बिजली ऑफिस एटीपी सेंटर में हुई डकैती को पुलिस ने 24 घंटे के भीतर सुलझा लिया है। इसे बिलासपुर पुलिस की बड़ी कामयाबी बताया जा रहा है। आरोपियों के पास से लूट की गई रकम में से 11 लाख 70 हज़ार रुपये भी पुलिस ने बरामद किया है। पूरे मामले का मास्टरमाइंड पूर्व लाइनमैन निकला। एक्सीडेंट के बाद उसका पैर काम नहीं कर रहा था। इस कारण से उसे नौकरी छोड़नी पड़ी थी। उसे कलेक्शन की पूरी जानकारी थी, इसीलिए उसने डकैती की योजना बनाई।
रोज की तरह एटीपी सेंटर में बिजली बिल कनेक्शन के बाद ऑपरेटर वीरेंद्र सोनवानी कैश गिन रहा था। उसी समय कुछ नकाबपोश वहां पहुंचे और नकली पिस्तौल दिखा कर चाकू की नोक पर बिजली बिल की जमा रकम 13 लाख 33 हज़ार लूट कर भाग गए । उन लोगों ने वीरेंद्र सोनवानी को बेहोश करने के लिए उसे कोई केमिकल लगा कपड़ा भी सुंघाया लेकिन इससे जब वह बेहोश नहीं हुआ तो उसे चाकू की नोक पर जमीन पर लेटने को विवश किया गया। लुटेरों के भागने के बाद ऑपरेटर ने पहले अपने मामा को और फिर 112 को कॉल किया।

बिलासपुर के मुख्य सड़क पर शाम 7:00 बजे हुई लूटपाट के बाद पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया और आला अधिकारियों ने बैठक कर अलग अलग टीम बनाकर आरोपियों की तलाश शुरू की । जांच के दौरान पता चला कि लुटेरों ने 15 दिन पहले से ही लूट की योजना बना ली थी। ऑपरेटर वीरेंद्र सोनवानी ने पहले ही बताया था कि एक संदिग्ध रोज बिजली बिल जमा करने आता था। घटना वाले दिन भी वो शाम 7:00 बजे बिजली बिल जमा करने आया था लेकिन बिल जमा करने के बजाय इधर-उधर घूम रहा था। संदेह पर आरोपी पिंटू यादव को हिरासत में लिया गया । पिंटू यादव को यह जानकारी दी कि एटीपी मशीन में बिजली बिल जमा करने की अंतिम तिथि पर अच्छी खासी रकम होती है। आरोपी पिंटू यादव पूर्व में लाइनमैन का काम कर चुका था। लूट के बाद आरोपियों ने रकम को नारियल कोठी मधुबन श्मशान घाट में बैठकर आपस में बराबर बांट लिया। वही ऑपरेटर के पर्स और अन्य दस्तावेज को मधुबन के पीछे स्थित झाड़ियों में फेंक दिया। वही उसके लुटे हुए मोबाइल को भी नदी में फेंक दिया गया।

पुलिस ने इस मामले में कर्बला में रहने वाले 60 वर्षीय पिंटू यादव, मधुबन रोड में रहने वाले विक्की सिंह, मंगल सिंह गोड़, शिखा वाटिका मधुबन निवासी राजा गोड़ और शुभम बैस को गिरफ्तार किया है। इनका एक नाबालिक साथी भी पकड़ा गया है। पुलिस ने इनके पास से लूट की रकम में से 11 लाख 70 हज़ार रुपये बरामद कर लिया है। वहीं इनका एक साथी धर्मेंद्र यादव शेष रकम लेकर फरार है , जिसकी तलाश पुलिस कर रही है।
जाहिर सी बात है आज भी किसी अपराध को अंजाम देना इतना कठिन नहीं है लेकिन मौजूदा जांच प्रक्रिया और तकनीकी साधनों की वजह से अपराधियों का पुलिस से बचना अब संभव नहीं। इस मामले में भी तकनीक के जरिए ही पुलिस कुछ ही घंटों में आरोपियों तक पहुंचने में कामयाब हुई। पूरे मामले को सुलझाने में
निरीक्षक प्रदीप आर्य, निरीक्षक हरविंद्र सिंह, उनि रविन्द्र यादव, उनि मनीष कांत, उनि यूएन शांत साहू, सउनि विजय राठौर, सउनि गुलाब पटेल, सउनि भानू पात्रे सउनि जीवन साहू, प्रआर फरकेट्टा, निर्मल सिंह, पृहुम सिंह, बलबीर सिंह, नरेंद्र उपाध्यय और प्रेम सूर्यवंशी, कमलेश सूर्याशी, अजय सम रंजीत खाण्डे, रजीत खरे, मनोज साहू, रवि शर्मा, दीपक केरकेट्टा विरेन्द्र राजपूत, रवि राजपूर मार्ग धर्मवीर सिंह, विवेक राय, दीपक उपाध्याय, रामलाल सोनवानी सत्ता कुमार पाटले, प्रशांत सिह की विशेष भूमिका रही।
