रतनपुर महामाया कॉलेज में किया गया कौशल विकास एवं समय प्रबंधन पर व्याख्यान का आयोजन

शासकीय महामाया महाविद्यालय रतनपुर में दिनांक 11.11.2022 को करियर गाइडेंस सेल द्वारा कौशल विकास एवं समय प्रबंधन पर व्याख्यान का आयोजन किया गया । व्याख्यान की मुख्य वक्ता शासकीय बिलासा कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय,बिलासपुर की पूर्व प्राचार्य डॉ सरोज कश्यप रहीं। व्याख्यान में कौशल विकास हेतु परामर्श प्रदान करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे समय प्रबंधन करते हुए पूर्ण निष्ठा,दृढ़ निश्चय और समर्पण से अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होना ही सफलता की कुंजी है। डा.सरोज कश्यप ने कहा कि हमें किसी की काॅपी नहीं बनकर अपने मूल व्यक्तित्व अनुसार जीना चाहिए। उन्होंने अंग्रेजी के नो के नहीं अर्थ के स्थान पर इसे न्यू एपाॅरच्यूनिटी के रुप में ग्रहण करने का आग्रह किया।हमें ऐसा कोई काम नहीं करना है कि स्पष्टीकरण देना पड़े। कार्यक्रम का संचालन एवं मुख्य वक्ता का परिचय डॉ चन्दना मित्रा ने दिया।

भारतीय परंपरा के अनुसार मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष पुष्प अर्पित कर एवं दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का आरंभ किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में छत्तीसगढ राजगीत अरपा पैरी के धार का सामूहिक गान किया गया।वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ राजकुमार सचदेव ने कौशल विकास एवं समय प्रबंधन का उदाहरण देते हुए बताया कि विद्यार्थियों एवं कर्मचारियों के सहयोग से तय समय 12 बजे तक सारी तैयारी पूर्ण कर ली गई थी,छोटे छोटे कार्य को सीखना,समय पालन करना सफलता की सीढ़ी का पहला चरण है।इसे अनिवार्य बताते हुए कहा की प्रयत्न और आत्म संयम ही सफल भविष्य का निर्माण करता है। करियर गाइडेंस सेल की संयोजक डॉ जया चावला ने बताया की कार्यक्रम में विद्यार्थियो ने छात्र जीवन तथा भविष्य में सफल होने के गुर जाने और पूर्ण मनोयोग से कार्यक्रम का लाभ उठाया।प्राचार्य डा.अशोक लहरें ने व्याख्यान आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से वरिष्ठजनों के ज्ञान और अनुभव का लाभ सभी को मिलता है और हम बेहतर होने का संकल्प कर के उस दिशा में प्रयास करते हैं।

आभार प्रदर्शन डॉ श्रीमती श्रद्धा दुबे ने किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक डा.श्रीमती प्रेमलता वर्मा,डा.राजेश राय,प्रो.देवलाल उइके,प्रो.शिवशंकर पांडेय,ग्रंथपाल श्री अंकुल गुप्ता,डा.जितेन्द्र साहू,कार्यालयीन कर्मचारी और विद्यार्थियो ने सहभागिता की। तकनीकी सहयोग श्री सूरज नामदेव एवं श्री सुरेन्द्र भार्गव ने दिया। कार्यक्रम का अंत राष्ट्र गान से किया गया।

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