


रतनपुर के प्रसिद्ध भैरवनाथ मंदिर में भैरव जयंती मनाने की तैयारी की जा रही है ।भैरव अर्थात भय से रक्षा करने वाले । सती माता की मृत्यु के पश्चात जब भगवान शिव उनका शव कंधे में लेकर आसमान पर विचरण कर रहे थे तो उस वक्त श्री हरि विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उनके शरीर के टुकड़े किये। जहां-जहां शरीर का अंग गिरा वहां वहां शक्ति पीठ की स्थापना की गई। इन्हीं शक्ति पीठों की रक्षा के लिए भगवान शिव ने काल भैरव के रूप में अवतार लिया। मान्यता है कि भैरव बाबा की आराधना और दर्शन के बगैर शक्ति की आराधना संपूर्ण नहीं होती। धार्मिक नगरी रतनपुर में जहां मां महामाया का मंदिर स्थित है तो वही नगर के द्वारपाल के रूप में भैरवनाथ भी स्थापित है। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी यहां भव्य रुप से भैरव जयंती मनाने की तैयारी आरंभ हो चुकी है।

मार्ग कृष्ण पक्ष सप्तमी 15 नवंबर मंगलवार को वेदी निर्माण आवाहन पूजन और अग्नि प्रज्वलित के साथ आयोजन का आरंभ होगा तो वही 16 नवंबर बुधवार माघ कृष्ण पक्ष अष्टमी को भैरव जयंती महोत्सव मनाया जाएगा। इस दिन विशेष पूजा , रात्रि तंत्र अनुष्ठान, हवन आदि होंगे। तो वही 22 नवंबर को यज्ञ में पूर्णाहुति के साथ आयोजन का समापन होगा। 23 नवंबर को भैरवनाथ मंदिर में कन्या भोजन, ब्राह्मण भोजन का आयोजन होगा। इस अवसर पर दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन और आराधना के लिए पहुचेंगे।
भैरव बाबा को रतनपुर का द्वारपाल कहा जाता है। मान्यता है कि सर्वप्रथम उनके दर्शन करने पड़ते हैं जिसके पश्चात ही मां महामाया के दर्शन से पुण्य लाभ प्राप्त होता है। भैरव जयंती के अलावा आने वाले दिनों में 25 जनवरी 2023 को यहां सामूहिक उपनयन संस्कार और 26 जनवरी को निशुल्क सामूहिक विवाह का भी आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान रामलीला का भी मंचन होगा। इन आयोजनों को लेकर तैयारियां आरंभ कर दी गई है।