छत्तीसगढ़ बंगाली समाज ने कार्तिक अमावस की रात की मां काली की पूजा अर्चना, देवी से आशीर्वाद लेने पहुंचे पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल

आलोक मित्तल

छत्तीसगढ़ बंगाली समाज द्वारा इस वर्ष भी धूमधाम और पूरे भक्ति भाव के साथ मां काली की पूजा अर्चना की गई। तोरवा छठ घाट रोड मंडी चौक, मातेश्री कॉलोनी में स्थित बंगला भवन में आयोजित माँ काली पूजा समारोह में समाज के लोग बड़ी संख्या में जुटे। दीपावली अपने अंदर कई और पर्व समाहित किए होती है। इस दिन जहां शाम को शक्ति के शौम्य स्वरूप देवी लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है तो वही मध्य रात्रि में देवी के रौद्र स्वरूप माँ काली की पूजा अर्चना की परंपरा है। खासकर बंगाल, असम और उड़ीसा में कार्तिक अमावस की रात देवी काली की पूजा अर्चना की परंपरा है।

बिलासपुर में भी प्रवासी बंगाली समाज द्वारा उसी परंपरा का पालन करते हुए काली पूजा का आयोजन किया जाता है। विगत 4 वर्षों की तरह इस वर्ष भी बंगला भवन में छत्तीसगढ़ बंगाली समाज द्वारा भव्य काली पूजा का आयोजन किया गया, जिसमें बंगाली समाज के लोग और संस्था से जुड़े सदस्य शामिल हुए। विगत कुछ वर्षों की तरह इस वर्ष भी पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल मां काली की पूजा अर्चना और दर्शन के लिए पहुंचे, जिन्होंने देवी का आशीर्वाद प्राप्त करते हुए पूरे देश की खुशहाली ,सुख , समृद्धि की कामना की। साथ ही उन्होंने अपनी संस्कृति संरक्षित रखने के लिए छत्तीसगढ़ बंगाली समाज की सराहना भी की। मध्य रात्रि से आरंभ होने वाले मां काली की पूजा अर्चना सुबह तक चली। मां काली को विशेष रूप से 108 जवाकुसुम अर्पित किए गए। 108 दीपक की आरती की गई। तरह-तरह के मौसमी फल और खिचड़ी भोग प्रसाद चढ़ाया गया। तो वही पूजा पश्चात बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पुष्पांजलि अर्पित की। तड़के पूजा एवं हवन समाप्त होने के बाद यहां भोग प्रसाद का वितरण किया गया। इससे पहले यहां डॉ एस के मजूमदार द एवं पागल नाथ संघ द्वारा श्यामा संगीत की प्रस्तुति दी गई।

सनातनी संस्कृति की विविधता उसकी विशेषता है। दीपावली के साथ भी कई संदर्भ जुड़े हुए हैं। भगवान श्री राम की अयोध्या वापसी, समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी का प्राकट्य, देवी काली की योगिनियो का प्रादुर्भाव जैसे कई प्रसंग इस पर्व के साथ जुड़े हुए हैं। इसीलिए देश के अलग-अलग हिस्सों में दीपावली को अलग-अलग प्रकार से मनाने की परंपरा है। बिलासपुर में बड़ी संख्या में बसने वाले प्रवासी बंगाली अपनी संस्कृति को बनाए रखते हुए दीपावली पर देवी काली की उपासना करते हैं। यह रात तंत्र साधना के लिए भी उपयुक्त माना जाता है। इस आयोजन में छत्तीसगढ़ बांग्ला समाज के प्रदेश महासचिव पल्लव धर, पूर्ति धर, पार्थ चक्रवर्ती, कल्पना डे, नारायण चंद्र डे , माला दास , संजय चक्रवर्ती, आर एन नाथ, शंकर दत्ता, ए के गांगुली, सुबेन्दू धर, सुमित बनर्जी, रंजीत बोस, अनूप विश्वास ,चुमकी चटर्जी, श्यामली डे, मिठू मजूमदार, गोपा दत्ता, मीता दत्ता समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूरी रात उपस्थित रहे।

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