माहा सप्तमी पर मां के सातवें स्वरूप कालरात्रि का किया जाएगा पूजन, सरकंडा श्री पितांबरा पीठ में भक्ति भाव के साथ मनाया जा रहा है शारदीय नवरात्र पर्व

श्री पीताम्बरा पीठ सुभाष चौक सरकंडा में शारदीय नवरात्र उत्सव में स्थापित श्री मनोकामना घृत ज्योति कलश ,पीताम्बरा मांँ बगलामुखी देवी का विशेष पूजन,श्रृंगार ,जप ,यज्ञ श्री देवाधिदेव महादेव का रुद्राभिषेक एवं श्री दुर्गा सप्तशती पाठ ब्राह्मणों के द्वारा निरंतर चल रहा है।आचार्य पं. दिनेश चंद्र पांडेय जी महाराज ने बताया कि माँ की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। नवरात्रि का सातवें दिन माँ बगलामुखी देवी का कालरात्रि देवी के रूप में पूजन किया जाएगा।माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसलिए देवी का एक नाम ‘शुभंकारी’ भी है।कालरात्रि देवी के शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं। ये तीनों नेत्र ब्रह्मांड के सदृश गोल हैं। इनसे विद्युत के समान चमकीली किरणें निःसृत होती रहती हैं (निकलती रहती हैं)
ये ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वरमुद्रा से सभी को वर प्रदान करती हैं। दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का काँटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग (कटार) है।माँ की नासिका के श्वास-प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएँ निकलती रहती हैं। इनका वाहन गर्दभ (गधा) है।


इस दिन साधक का मन ‘सहस्रार’ चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है।सहस्रार चक्र में स्थित साधक का मन पूर्णतः माँ कालरात्रि के स्वरूप में अवस्थित रहता है।उनके साक्षात्कार से मिलने वाले पुण्य का वह भागी हो जाता है। उसके समस्त पापों-विघ्नों का नाश हो जाता है। उसे अक्षय पुण्य-लोकों की प्राप्ति होती है।माँ कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं। ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं। इनके उपासकों को अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि कभी नहीं होते। इनकी कृपा से वह सर्वथा भय-मुक्त हो जाता है।इनकी पूजा-अर्चना करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है व दुश्मनों का नाश होता है, तेज बढ़ता है। माँ कालरात्रि के स्वरूप-विग्रह को अपने हृदय में अवस्थित करके मनुष्य को एकनिष्ठ भाव से उपासना करनी चाहिए। यम, नियम, संयम का उसे पूर्ण पालन करना चाहिए। मन, वचन, काया की पवित्रता रखनी चाहिए।
माँ कालरात्रि शुभंकारी देवी हैं। उनकी उपासना से होने वाले शुभों की गणना नहीं की जा सकती। हमें निरंतर उनका स्मरण, ध्यान और पूजा करना चाहिए।

भगवती पीताम्बरा शत्रु नाशक श्री बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या है यह मांँ बगलामुखी की स्तंभय शक्ति की अधिष्ठात्री है इन्हीं में संपूर्ण ब्रह्मांड की शक्ति का समावेश है ,माता बगलामुखी की उपासना विशेष रूप से वाद-विवाद, शास्त्रार्थ ,मुकदमें में विजय प्राप्त करने के लिए, अकारण आप पर कोई अत्याचार कर रहा हो तो उसे रोकने सबक सिखाने,बंधन मुक्त, संकट से उद्धार, ग्रह -शांति, शत्रुनाश ,एवं संतान प्राप्ति के लिए विशेष फलदायी है।

3 अक्टूबर 2022 सोमवार को महाष्टमी के पावन पर्व पर प्रातः 9:00 बजे से 12:00 बजे तक कन्या पूजन,भोजन किया जाएगा एवं 4अक्टूबर 2022 मंगलवार को नवमी पर्व पर कन्यापूजन,भोजन,भण्डारा का कार्यक्रम संपन्न होगा तत्पश्चात श्री पीताम्बरा यज्ञ हवन, दसदिगपाल, क्षेत्रपाल बलि, आवाहित देवी देवताओं का हवन आदि कार्यक्रम संपन्न होगा।

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