
पखांजुर से बिप्लब कुण्डू–25/9/22




पखांजुर–
नवरात्र के नजदीक आते ही क्षेत्र के सभी देवी मंदिरों में इस पर्व को धूम धाम से मनाने की तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं। वहीं नगर व मुहल्लों में मूर्ति स्थापना के लिए भव्य पंडाल भी बनाये जा रहे हैं। मगर दूसरी ओर प्रसिद्ध धार्मिक स्थल गढ़ बांसला में एक बार फिर दर्शन के लिए दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं को मूलभूत समस्याओं से जूझना पड़ेगा।
वन विभाग के द्वारा पहाड़ी में श्रद्धालुओं के आने जाने हेतु जो सीढियां बनाई गई थी वह जर्जर हो चुकी हैं और बारिश की वजह से वहाँ काई जम गई है। इसके साथ ही वन विभाग द्वारा लाखों रुपये खर्च कर मन्दिर के समीप बोर खनन कर मन्दिर व पहाड़ी में पानी सप्लाई करने के लिए टंकी लगाकर पाइप लाइन भी बिछाया गया था। मगर विभाग की अनदेखी के चलते बोर व पाइपलाइन पुरी तरह से
छतिग्रत हो चुका है। वर्तमान में यहाँ पेयजल की विकट समस्या बनी हुई है इस ओर न ही ग्राम पंचायत ध्यान दे रही और न ही वन विभाग ज्ञात हो कि गढ़ बाँसला स्थित दन्तेश्वरी मन्दिर में नवरात्र के दोनों पक्षों में 9 दिनों तक मेला लगता है और विशेष पूजा अर्चना की जाती है। मां दंतेश्वरी के दर्शन के लिए कांकेर जिले सहित अन्य जिलों व प्रदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। यहां समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के द्वारा वर्ष 2007-08 में गढ़ गढ़ बांसला को पर्यटन स्थल का दर्जा देने की घोषणा की गयी थी, लेकिन आज तक इसे पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं मिल पाया है। अब तो यहाँ मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव होने लगा है। कुछ वर्षों पूर्व यहाँ के पहुँच मार्ग पर एक पुलिया बह गई थी जो आज भी जस की तस पड़ी हुई है। ग्रामीणों के द्वारा कई बार मांग करने के बावजूद इसे बनाया नहीं गया। मन्दिर परिसर में पेयजल की समस्या है साथ ही पहाड़ी पर बनाई गयी सीढ़ियों के जर्जर होने और काई रचने से कई श्रद्धालु फिसल के गिर चुके हैं।

सुविधाओं के लिए तरसता गढ़ बाँसला::-
मंदिर समिति के सचिव झनू राम नाग ने बताया धार्मिक स्थल होने बाद भी शासन-प्रशासन द्वारा को सहायता नहीं दी जा रही है।पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, पर्यटन मंत्र बृजमोहन अग्रवाल एवं 2015 पर्यटन मंत्री दयालदास बघेल ने भी गढ़ बाँसला को पर्यटन स्थल बनाने क बात कहि और भूल गए। इसे पर्यटन स्थल की मान्यता मिल गई होती तो आज यहां का नजारा अलग ही होता चैतरई पर्व भी राशि के अभाव में पूज पाठ तक सीमित होकर रह गई है पहले शासन द्वारा 1 लाख की अनुदान राशि दी जाती थी वह भी 10 साल से बंद कर दिया गया है। राशि के अभाव में मन्दिर की सही से देख रेख नहीं हो पा रही है। सीढ़ियों पर बड़ी बड़ी झाड़ियां उग आईं हैं जिससे पहाड़ चढ़ने वाले श्रद्धालुओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है व कोई हादसो का भी शिकार हो चुका है।

मंदिर परिसर में पेयजल आपूर्ति ठप्प:-
गढ़ बाँसला दंतेश्वरी मंदिर में कुछ महीनों से पेयजल आपूर्ति ठप्प पड़ी हुई है । यहाँ दर्शन को आने वा श्रद्धालुओं को पीने का पानी नहीं मि रहा है। वन विभाग के द्वारा लाखों क लागत से मन्दिर परिसर व पहाड़ी में | पाइपलाइन बिछाकर पानी पहुँचाने क कार्य किया गया था। लेकिन महीने भर के अंदर ही पाइपलाइन खराब हो गयी और पानी सप्लाई बंद होने से समस्या अब तक जस की तस बनी हुई हैं। इस ओर पंचायत व वन विभाग गम्भीर नजर नहीं आते।
252 गांव के 84 परगना के देवी देवताओं का गढ़ है बाँसला::-
कांकेर रियासत के कोमल देव एवं कंडरा राजा के समय गढ़ बाँसला राजधानी हुआ करता था। इसमें क्षेत्र के 252 गांव के 84 परगना के देवी-देवताओं का वास माना जाता है। प्राचीनकाल से ही गढ़ बांसला को मां दंतेश्वरी देवी स्थल के रूप में पूजा जाता है व क्षेत्र के लोगों की श्रद्धा तथा आस्था का एक केंद्र भी है। इसका अपना एक प्राचीन इतिहास भी है। ग्राम सम्बलपुर के प्रसिद्ध गणेश मंदिर की चमत्कारी गणेश जी की मूर्ति भी यहीं से प्रकट हुई थी ।
पर्यटन स्थल की घोषणा हुई पर दर्जा अब तक नहीं::-
ग्राम सरपंच विष्णु प्रसाद नायक ने कहा यह क्षेत्र देवी स्थल होने कारण प्रदेश भर में विख्यात है। यहां पर चैतरई नवरात्र एवं क्वार नवरात्र पर्व पर मेला लगता है। इसमें प्राचीन रियासत काल से 252 गांव के लोग व 84 परगना के देवी-देवता शामिल होते हैं । पूर्व मुख्यमंत्री, पर्यटन मंत्री द्वारा पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा किया गया पर वह सिर्फ घोषणा ही रह गयी। अब सुविधाओं में भी दिनों दिन कमी होती जा रही है। पंचायत व मन्दिर समिति द्वारा अपने स्तर पर इसे ठीक करने का प्रयास किया जा रहा है पर शासन प्रशासन से कोई सहायता नहीं मिल रही।
