


रेलवे क्षेत्र के भाजपा नेता और पूर्व पार्षद वी रामाराव ने एक बार फिर रेलवे कॉलोनी और क्षेत्र की जर्जर सड़कों का मुद्दा उठाया है। दरअसल कुछ समय पहले उन्होंने इसी मुद्दे पर डीआरएम आलोक सहाय से मुलाकात की थी, जिन्होंने दो टूक कहा था कि रेलवे क्षेत्र की जर्जर सड़कों की मरम्मत के लिए उनके पास फण्ड नहीं है ।वी रामाराव ने कहां कि एक तरफ रेलवे ने अपने अधिकारियों के बंगलो और बंगलों के सामने की सड़कों को संवारने पर खजाने का मुंह खोल दिया है, वहीं दूसरी तरफ आम लोगों और कर्मचारियों के इस्तेमाल की सड़कों को सुधारने के लिए रेलवे फंड का रोना रो रहा है।
इसे रेलवे की तानाशाही बताते हुए वी रामाराव आगे कहते हैं कि रेलवे भी भारत सरकार का ही उपक्रम है। राज्य सरकार या निगम भी इसी देश का हिस्सा है। पर रेलवे के अधिकारी अपने भर्राशाही सोच की वजह से रेलवे को पृथक राष्ट्र मानने की मानसिकता से बाहर नहीं आ पा रहे है। यही वजह है कि रेलवे क्षेत्र में बिलासपुर नगर निगम को भी किसी तरह का काम करने नहीं दिया जाता और ना ही रेलवे द्वारा ही जर्जर सड़कों के सुधार के लिए कुछ किया जा रहा है।

लंबे समय से सड़क निर्माण या मरम्मत न होने से रेलवे क्षेत्र की अधिकांश सड़कें चलने लायक नहीं रह गई है। चाहे वह उर्दू स्कूल मैदान से तारबाहर चौक शिव मंदिर तक जाने वाली टाइप वन क्वार्टर की तीनों गालियां हो, उर्दू स्कूल मैदान से लेकर बड़ा गिरजा चौक हो, या फिर तितली चौक से लेकर बंगाली स्कूल चौक। बंगाली स्कूल चौक से बुधवारी बाजार रोड, आरपीएफ कॉलोनी की सड़कें भी जर्जर हो चुकी है। सड़क पर कई कई फीट गहरे गड्ढे बन चुके हैं। तितली चौक वाली सड़क पर सघन यातायात होने के बावजूद यहां अर्बन बैंक के सामने सड़क गड्ढों में तब्दील हो चुकी है लेकिन इसे सुधारने की कोशिश तक रेलवे नहीं कर रहा।
दूसरी ओर अधिकारियों के बंगलो में लगातार निर्माण कार्य जारी है। जिन जिन इलाकों में अधिकारियों के बंगले हैं, वहां की सड़कें चमचमा रही है। वहां फंड की कोई कमी नहीं होती। रेलवे की इसी दोहरी नीति की वजह से कर्मचारियों में आक्रोश है।

रेलवे की हमेशा से कोशिश रही है कि उनके क्षेत्र की सड़कों से आम लोग ना गुजरे। इसके लिए कई प्रयास हुए। कई बार सड़कों पर गेट या बैरिकेट बनाकर आम रास्ते को प्रतिबंधित करने की कोशिश भी हुई। जनप्रतिनिधियों के दखल से ही रेलवे इस उद्देश्य में सफल नहीं हो पाया तो अब रेलवे इन सड़कों की मरम्मत ना कर शायद उसी का बदला चुका रहा है। पूर्व पार्षद रामाराव का कहना है कि अगर रेलवे के पास फंड नहीं है तो वह सब बिलासपुर नगर निगम को सड़क मरम्मत की अनुमति दें, लेकिन रेलवे के जिद्दी अधिकारी ऐसा भी नहीं करते। खासकर बरसात के दौरान रेलवे क्षेत्र से गुजरने वाली सभी सड़कें गड्ढों में तब्दील हो चुकी है। सड़कों के दोनों ओर ऊंची- ऊंची झाड़ियां उग आई है, जिससे सांप बिच्छू का डर रेलवे कर्मचारियों को सता रहा है।

सिर्फ सड़क ही नहीं, रेलवे क्षेत्र में मौजूद सभी उद्यान भी देखरेख के अभाव में जर्जर हो चुके हैं। इसे लेकर रेलवे के अधिकारियों की उपेक्षा रेलवे तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को आक्रोशित कर रही है। इन मुद्दों पर हमेशा से मुखर रहे भाजपा नेता व्ही रामाराव ने कई मर्तबा रेलवे अधिकारियों और संबंधित विभाग से चर्चा कर राहत के उपाय तलाशने की कोशिश की है, लेकिन इस मर्तबा रेलवे ने फंड न होने की बात कहकर निर्माण की उम्मीदों को सिरे से खारिज कर दिया है। गणेश चतुर्थी के बाद आने वाले दिनों में दशहरा और दुर्गा पूजा का आयोजन होना है। रेलवे क्षेत्र में बड़ी संख्या में दुर्गा पंडाल स्थापित होंगे। उस दौरान शहर के श्रद्धालु सड़क पर उतर आते हैं, जर्जर सड़कों की वजह से इस बार उन्हें परेशान होना पड़ेगा। इसलिए रामाराव ने कहा कि कम से कम दुर्गा पूजा से पहले इन सड़कों की मरम्मत या डामरीकरण की जाए।

रेलवे के पास फंड की नहीं बल्कि इच्छाशक्ति की कमी है । ऐसे में महापौर, विधायक और सांसद को भी इस मामले में दखल देकर आम नागरिकों को राहत देने का प्रयास करना होगा। क्योंकि रेलवे के बड़े अधिकारियों के बंगलों के आसपास से लेकर उनके कार्यालय तक की सड़कें तो चकाचक है, इसलिए उन्हें इससे कोई खास फर्क पड़ने वाला नहीं है । इन जर्जर सड़कों का इस्तेमाल रेलवे के निम्न श्रेणी के कर्मचारी और आम नागरिक करते हैं, जिन्हें इससे समस्या हो रही है, यही वजह है कि इस मुद्दे को एक बार फिर से भाजपा नेता और पूर्व पार्षद रामाराव ने गंभीरता से उठाया है। उन्होंने कहा कि मैं तब तक प्रयास करता रहूंगा, जब तक रेलवे के अधिकारियों की नींद नहीं खुल जाती।

