चर्च में वृक्षारोपण करने के बाद अपनों के ही निशाने पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और मुंगेली विधायक, सोशल मीडिया पर छिड़ गई है जंग, भाजपा पर पाला बदलने का लग रहा आरोप

आकाश दत्त मिश्रा

सेवा पखवाड़ा के दौरान नए-नए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बने अरुण साव और मुंगेली के विधायक पुन्नूलाल मोहले डिसाइपल्स चर्च ऑफ़ क्राइस्ट मुंगेली में वृक्षारोपण करने पहुंच गए , जिसके बाद से वे अपनी ही पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों के निशाने पर आ गए। इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर जंग छिड़ी हुई है। दरअसल भाजपा सॉफ्ट हिंदुत्व के लिए जानी जाती है। भाजपा के कोर वोटर भी हिंदू ही है। भले ही आज भाजपा में भी अल्पसंख्यक मोर्चा और प्रकोष्ठ जैसे संगठन है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि मुसलमान और ईसाई आमतौर पर भाजपा को वोट नहीं देते। इसलिए जब भी भाजपा नेता अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण का प्रयास करते हैं तो वे अपने ही समर्थकों के निशाने पर आ जाते हैं।


इस बार भी ऐसा ही हुआ है। सेवा पखवाड़े के दौरान 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक विभिन्न आयोजन किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में पिछले दिनों मुंगेली के डिसाइपल्स चर्च ऑफ क्राइस्ट में वृक्षारोपण का आयोजन किया गया, जिसमें मुंगेली सीएनआई चर्च के रेवरेंट पास्टर इंचार्ज रविंद्र मसीह के साथ सचिव अरविंद दान एवं अल्पसंख्यक मोर्चा अध्यक्ष सचिन मसीह की अगुवाई में प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और विधायक पुन्नूलाल मोहले शामिल हुए। इसके बाद वे चर्च के प्रार्थना सभा में भी फादर के साथ नजर आए । सोशल मीडिया पर इस तरह की खबरों को लेकर तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है।

असल में मुंगेली जिले में भी धर्मांतरण बड़ा मुद्दा है । खासकर पिछड़ा वर्ग के लोगों को तेजी से धर्मान्तरित किया जा रहा है, जिसे लेकर साहू समाज ने भी चिंता जाहिर की थी और इसे लेकर बैठक और रैली का सिलसिला जारी है। ऐसे में साहू समाज से ही आने वाले नए प्रदेश अध्यक्ष का ईसाई मिशनरी के साथ गलबहिया समर्थकों को रास नहीं आई। सोशल मीडिया पर इसे लेकर तरह तरह की प्रतिक्रिया देखी जा रही है। इसे तुष्टिकरण का नाम देते हुए भाजपा नेताओं को समझाया जा रहा है कि ऐसे ही तमाम प्रयासों के बावजूद ईसाई और मुस्लिम समुदाय का वोट भाजपा को मिला है और ना ही भविष्य में मिलेगा।


असल में दूसरी बार चुनाव जीतने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अल्पसंख्यकों का विश्वास जीतने के प्रयास में लगे हैं। उन्हीं की राह पर चलते हुए नए प्रदेश अध्यक्ष भी सर्वधर्म समभाव की नीति पर चल रहे हैं, जिसके तहत वे चर्च भी गए। अब लोग उम्मीद कर रहे हैं कि अगली बार वे शायद किसी मस्जिद में भी जाकर वृक्षारोपण करेंगे।
कुछ समय पहले ऐसा कहा जा रहा था कि आगामी विधानसभा चुनाव में धर्मांतरण भी भाजपा के लिए बड़ा मुद्दा होगा। ऐसे में जब प्रदेश अध्यक्ष स्वयं ऐसे मिशनरियों के साथ खड़े नजर आएंगे तो फिर कार्यकर्ताओं और समर्थकों का नाराज होना वाजिब है। उदाहरण दिया जा रहा है कि किस तरह भाजपा नेता दिलीप सिंह जूदेव और उनके बाद उनके पुत्र प्रबल प्रताप सिंह जूदेव धर्मांतरण के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं और धर्मान्तरित लोगों की घर वापसी करा रहे हैं। उन्हीं की पार्टी के नेता अब चर्च की प्रार्थना सभा में नजर आ रहे हैं , जिसे लेकर इस तरह की नाराजगी स्वाभाविक है।

इसे लेकर सोशल मीडिया पर खूब मजे भी लिए जा रहे हैं। लोग जमकर विधायक और प्रदेश अध्यक्ष पर चुटकी ले रहे हैं। कहा जा रहा है कि ऐसे कदमों से भाजपा का कोर वोट बैंक भी कहीं खिसक ना जाए। इसे भाजपा के लिए आत्मघाती कदम बताने वालों की भी कमी नहीं है ।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि नए नए अध्यक्ष बने अरुण साव के सर मूढाते ही ओले पड़े हैं और उन्होंने बैठे ठाले एक मुसीबत मोल ले ली है। शायद उन्हें भी मुंगेली की राजनीति की तासीर का अंदाजा नहीं है। एक तरफ कांग्रेस तेजी से पैर पसार रही है, दूसरी ओर भाजपा अपने कोर वोट बैंक को नाराज करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही, जिसका असर आगामी विधानसभा चुनाव पर पड़ना तय है।

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