
आलोक मित्तल

वनवास के दौरान प्रभु श्री राम वनपथ गमन करते थे, उसी भांति आज उनका एक भक्त रामलला के दर्शन के लिए 12 सौ किलोमीटर की पदयात्रा पर निकल पड़ा है। बचपन से ही भगवान श्री राम का भक्त और जांजगीर में सनातनी ध्वजवाहक सूर्य प्रकाश शर्मा ने अपना संकल्प पूरा करते हुए 18 अगस्त को जांजगीर चांपा से पदयात्रा की शुरुआत की। वह पैदल चलकर अयोध्या में बन रहे श्री राम मंदिर के दर्शन करने के लिए निकल पड़े हैं। अपने यात्रा के दूसरे दिन शुक्रवार को जब वे बिलासपुर पहुंचे तो यहां सनातनीयों ने उनका आत्मीय स्वागत किया। भगवान श्रीराम ने माता शबरी के जूठे बेर खाए थे। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि वह अक्षय वट वृक्ष शिवरीनारायण में आज भी मौजूद है । उसी वट वृक्ष के पत्ते और डाली लेकर सूर्य प्रकाश शर्मा अयोध्या धाम जा रहे हैं। उन्होंने हर दिन 25 किलोमीटर की यात्रा करने का लक्ष्य रखा है, मगर पहले दिन की यात्रा में ही उनके पांव में छाले पड़ने लगे हैं और अभी मंजिल दूर है।

उन्होंने बताया कि इससे पहले वे बैजनाथ धाम, बगड़ धाम की पदयात्रा कर चुके हैं , लेकिन अयोध्या की यात्रा उनके लिए भी अलग मायने रखती है। वे स्वयं रहे हैं कि इस यात्रा में 3 महीने से अधिक का वक्त लग सकता है। मगर इस इस कठिन संकल्प के पूरे होने का विश्वास उन्हें इसलिए भी है क्योंकि उन्हें लगता है भगवान राम की कृपा से सब कुछ संभव होता है। उन्होंने चर्चा करते हुए बताया कि शिवरी नारायण मंदिर के सामने एक वटवृक्ष मौजूद है, जिसकी पत्तियां प्राकृतिक रूप से दोने ने के आकार में उत्पन्न होती है। मान्यता है कि इसी दोने में रखकर माता शबरी ने भगवान राम को अपने जूठे बेर खिलाये थे। शबरी माता का राम के प्रति प्रेम आस्था और विश्वास की इसी भावना को लेकर सूर्य प्रकाश पदयात्रा पर निकले हैं।
वह अयोध्या में माता शबरी की प्रतिमा और इस वृक्ष को स्थापित करना चाहते हैं। पूरे देश की खुशहाली, शांति और समृद्धि की कामना के साथ पदयात्रा पर निकले सूर्य प्रकाश शर्मा को व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है , जिसके भरोसे वे इस लक्ष्य को हासिल करने का विश्वास रखते हैं। राम के नाम से तो पत्थर भी तर जाते हैं, तो फिर 12 सौ किलोमीटर की दूरी क्या मायने रखती है ? विश्वास है कि सूर्य प्रकाश शर्मा यह लक्ष्य भी राम का नाम लेकर आसानी से हासिल कर लेंगे।
