महंगाई और मकान किराया भत्ता बढ़ोतरी की मांग पर शिक्षक हड़ताल पर तो बच्चे सड़क पर, शासकीय कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से शुरू हो गई है लोगों की परेशानी

आकाश दत्त मिश्रा

कर्मचारी हड़ताल से बेखबर बच्चे जब रोज की तरह स्कूल पहुंचे तो उन्हें पता चला कि स्कूल से शिक्षक नदारद थे। इस वजह से प्रदेश के साथ मुंगेली में भी सभी शासकीय स्कूल के बच्चों को भटकना पड़ा। शिक्षको की गैरमौजूदगी से बच्चे स्कूल के बाहर खड़े नजर आए।
कर्मचारियों की जिद और सरकार के हठ के चलते छत्तीसगढ़ के सरकारी दफ्तर एक प्रकार से अगले 7 दिनों के लिए बंद हो गए हैं। प्रदेश के सभी कर्मचारी संगठनों ने एकजुट होकर हड़ताल का ऐलान कर दिया है। कर्मचारी 25 से 29 जुलाई तक हड़ताल पर रहेंगे। 30 जुलाई को शनिवार और 31 को रविवार होने से अवकाश रहेगा। हड़ताल में प्रदेश के शासकीय शिक्षक भी शामिल है। इस कारण सभी स्कूलों में मिड-डे-मील भी नहीं मिलेगा।


राज्य के कर्मचारी केंद्रीय कर्मचारियों के समान महंगाई भत्ता और मकान किराया भत्ता की मांग कर रहे हैं। केंद्रीय कर्मचारियों को 34% महंगाई भत्ता दिया जाता है जबकि राज्य के कर्मचारियों को 22 प्रतिशत महंगाई भत्ता ही मिलता है ।कर्मचारी फेडरेशन के आह्वान पर शिक्षक संघ और पटवारी संघ भी शामिल हो गया है। इस कारण से प्रदेश के अधिकार सेवाएं बाधित हो रही है। स्कूल से शिक्षकों के गायब होने से बच्चों को खासी परेशानी हो रही है। वहीं विधानसभा का मानसून सत्र के दौरान कर्मचारियों के हड़ताल से संबंधित विभाग के अधिकारियों को अब जवाब देना पड़ रहा है।

इस दौरान वैक्सीनेशन, जाति प्रमाण पत्र आदि के कार्य भी प्रभावित होंगे। कर्मचारियों का कहना है कि केवल छत्तीसगढ़ में ही 22% महंगाई भत्ता दिया जाता है। कर्मचारियों को अभी भी साढ़े छह साल पुराने छठवें वेतनमान के अनुरूप मकान किराया भत्ता मिल रहा है। इसी वजह से कर्मचारी अनिश्चितकालीन आंदोलन पर है। लंबी बातचीत के बावजूद राज्य सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी, जिस कारण से कर्मचारियों को हड़ताल पर जाना पड़ा। कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से सरकार को राजस्व का भी बड़ा घाटा होना तय है। 31 मार्च 2022 की रिपोर्ट के अनुसार एक ही दिन में पंजीयन कार्यालय को लगभग ₹100000000 का राजस्व मिला था। इस आंकड़े के अनुसार 12-13 दिनों तक कर्मचारियों की गैरमौजूदगी से सरकार को खासा नुकसान होना तय है । वहीं स्कूलों में पढ़ाई ना होने से बच्चों की परेशानी भी बढ़ने वाली है।

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